‘महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का एक सार्थक प्रयास’ नामक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए अनेक कदम उठाए हैं। लड़कियों को जहां मात्र 1 प्रतिशत साधारण ब्याज पर सरकारी खजाने से 4 लाख तक का शिक्षा ऋण दिया जा रहा है, वहीं एक लड़की के पैदा होने से लेकर स्नातक उत्तीर्ण करने तक विभिन्न चरणों में 54 हजार रुपये उसके खाते में दिया जा रहा है। अगले महीने इंटर व स्नातक उत्तीर्ण डेढ़ लाख लड़कियों को 25-25 हजार रुपये दिए जायेंगे। 

नौकरशाही डेस्क

मोदी ने कहा कि एनडीए की सरकार ने 2006 में पंचायत और नगर निकायों के चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। इस पहल से व्यापक बदलाव हुआ। मुखिया बनीं महिलाएं न केवल सभा को सम्बोधित करने लगी, बल्कि बच्चों को पढ़ाने व अपने घरों में शौचालय बनाने की भी पहल की। प्रधानमंत्री की पहल के बाद आज देश में जहां 97 प्रतिशत घरों में वहीं बिहार के 84 प्रतिशत घरों में शौचालय का निर्माण हो चुका है। अगले साल मार्च तक बिहार का कोई ऐसा घर नहीं बचेगा जहां शौचालय नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि 2008-09 में सरकार द्वारा वर्ग 9 में पढ़ रही डेढ़ लाख लड़कियों को साइकिल योजना के तहत 3-3 हजार रुपये दिए गए वहीं अब उनकी संख्या बढ़ कर 7.5 लाख हो गयी हैं। सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। अभी हाल में हुई पुलिस की बहाली में 50 प्रतिशत महिलाएं चयनित हुई।

महिलाओं को देखने का नजरिया बदलें। सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा को हमने शिक्षा, धन और शक्ति का प्रतीक तो मान लिया मगर महिलाओं को इनसे वंचित कर दिया। आधी आबादी के सशक्तीकरण के बिना देश शक्तिशाली नहीं हो सकता है।

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