मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार शिक्षा को सामाजिक बदलाव और आर्थिक स्‍वावलंबन का सबसे सशक्‍त माध्‍यम मानते हैं। यही कारण है कि वित्‍तीय वर्ष 2017-18 के बजटीय प्रावधान में शिक्षा विभाग के लिए 25251 करोड़  का आवंटन किया गया है। यह कुल बजटीय आवंटन का लगभग 18 फीसदी है। लेकिन विभाग का दुर्भाग्‍य है कि इसके पास ‘फुल टाइम’ प्रधान सचिव भी नहीं हैं। इस विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन अतिरिक्‍त प्रभार में विभाग को देख रहे हैं।   rk mahajan

वीरेंद्र यादव

 

शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव मूलरूप से स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के प्रधान सचिव हैं। वे इस पद पर महागठबंधन सरकार बनने के कुछ दिन बाद यानी 24 नवंबर, 2015 से पदस्‍थापित हैं। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव का अतिरिक्‍त प्रभार उन्‍हें 11 सिंतबर, 2016 को सौंपा गया। इसके अलावा वे स्‍थानिक आयुक्‍त नई दिल्‍ली के कार्यालय में ओएसडी भी हैं।

 

विडंबना है कि सबसे अधिक वित्‍तीय आवंटन वाला शिक्षा विभाग अतिरिक्‍त प्रभार में चल रहा है। इस‍ विभाग के जिम्‍मे प्राथमिक कक्षा में नामांकन से लेकर कुलपतियों के चयन का काम भी आता है। आरके महाजन के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का बजट करीब 7 हजार करोड़ का है। इससे करीब साढ़े तीन गुना अधिक बजट शिक्षा विभाग का है, जो अतिरिक्‍त प्रभार में चल रहा है।

 

इसके पीछे की राजनीति है कि स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के मंत्री तेज प्रताप यादव हैं। आरके महाजन राजद प्रमुख लालू यादव के विश्‍वस्‍त हैं। सरकार गठन के बाद अधिकारियों के बंटवारे के दौरान राजद प्रमुख ने स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का प्रधान सचिव आरके महाजन को बनवाया। यही कारण है कि श्री महाजन की जिम्‍मेवारी भले बढ़ गयी हो, लेकिन मूल विभाग में बदलाव अभी नहीं दिख रहा है।

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