राज्‍य सरकार अत्‍यंत पिछड़ी जातियों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहती है और इसके लिए वैधानिक प्रतिमानों का भी इस्‍तेमाल कर रही है। इसी सिलसिले में अति पिछड़ी जातियों की जनसंख्‍या बढ़ाने के लिए सरकार ने पिछड़ी जाति में शामिल ‘अवध बनिया’ को अत्‍यंत पिछड़ी जाति में शामिल कर लिया है। इसके लिए सामान्‍य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसकी सूचना भी संबंधित विभागों और नियोजन इकाइयों को भेज दी गयी है।

नौकरशाही ब्‍यूरो

 

सामान्‍य प्रशासन विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि अवध बनिया जाति के रहने वालों गांवों के सर्वे और स्‍थल निरीक्षण के बाद यह पाया गया कि इसकी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व सांस्‍कृतिक स्थिति अदरखी बनिया जाति के समान है। अदरखी व अवध बनिया जातियों के बीच वैवाहिक संबंध भी होता रहा है। इसी को आधार मानकर अत्‍यंत पिछड़ा वर्ग आयोग ने अवध बनिया को अत्‍यंत पिछड़ी जाति में शामिल करने की अनुशंसा की थी।

 

इसी अनुशंसा के आलोक में राज्‍य सरकार ने पिछड़े वर्गों की सूची (अनुसूची 2) के क्रमांक 20 पर अंकित अवध बनिया जाति को विलोपित करते हुए उसे अत्‍यंत पिछड़े वर्गों की सूची (अनूसूची 1) में क्रमांक 124 के रूप में शामिल किया  है। इसके बाद राज्‍य सरकार की नौकरियों में आरक्षण के लिए यह जाति अत्‍यंत पिछड़ी जाति को मिलने वाली सुविधाओं का हकदार होगी। यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू भी मान लिया गया है। लोकसभा चुनाव में अतिपिछड़ी जातियों के भाजपा के साथ चले जाने की खबरों के बीच राज्‍य की सत्‍तारुढ जदयू ने इस वर्ग पर अपनी पैठ बनाने की पहल की है। हालांकि जदयू को इसका कितना राजनीतिक लाभ होता है, यह कहना मुश्किल है, लेकिन अतिपिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर हिस्‍सेदारी के लिए एक और जाति शामिल हो गयी है।

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