अब बिहार की आर्थिक अपराध इकाई {ईओयू} अदालत के निशान पर है. पटना हाई कोर्ट ने ईओयू को आड़े हात लेते हुए कोर्ट में आकर बताने को कहा है कि इंजीनियर नियुक्ति घोटाले की जांच सुस्त क्यों है.

पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 2010 में जल संसाधन विभाग के 2200 कनीय अभियंताओं की नियुक्ति में धांधली की जांच की धीमी प्रगति पर नारागी जतायी है.

कोर्ट ने  अपनी नाराजगी जताते हुए आर्थिक अपराध इकाई के आईजी और मामले की जांच टीम के प्रभारी एसपी को 4 फरवरी को कोर्ट में हिर होने का आदेश दिया है.

गौरतलब है कि कोर्ट ने 2013 में ही नियुक्त संबंधी परीक्षाफल के प्रकाशन पर रोक लगा रखी है.  मालूम हो कि मामले की जांच में आयोग के अपर सचिव और उप सचिव की संलिप्तता उजागर हो चुकी है इसके बावजूद इन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति का प्रस्ताव लंबित है.

सरकार के इस रवैये से कोर्ट सख्त है. भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति मिहिर कुमार झा की एकलपीठ रविभूषण वर्मा एवं अन्य की याचिका पर मामले की सुनवाई कर रही है. परीक्षा में धांधली की पहले सीआईडी जांच हुई थी. इसकी जांच आर्थिक अपराध इकाई को सुपुर्द हुई.

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