केंद्रीय राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा  एक बार फिर उस समय सुर्खियों में आ गए, जब उनको अपने ही संसदीय क्षेत्र में ग्रामीणों ने काले झंडे दिखाए. मिली सूचना के अनुसार, रविवार को काराकाट के परसर गांव पहुंचते ही कुशवाहा को  मध्‍य विद्यालय के भवन नहीं बनने से नाराज ग्रामीणों के गुस्‍से का सामना करना पड़ा. इस दौरान लोगों ने उनका घेराव भी किया और जमकर नारेबाजी की

नौकरशाही डेस्‍क

दरअसल,  परसर गांव ग्रामीण मध्य विद्यालय का भवन नहीं बनने से आहत थे. बताया जाता है कि परसर गांव के मध्य विद्यालय का भवन काफी जर्जर स्थिति में है. इसे लेकर ग्रामीण कई बार पहले भी कुशवाहा से आग्रह करने की कोशिश की थी, लेकिन कोई ग्रामीणों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं था. केंद्रीय मंत्री को गांव के पूजन सिंह के घर उनके भतीजे की मौत पर सांत्वना व्यक्त करने गये थे. सांत्वना देकर कर वे गांव के ही उमेश सिंह के घर भोजन करने जा रहे थे. जैसे ही मंत्री का काफिला गांव मध्य विद्यालय के समीप पहुंचा ग्रामीण मंत्री को काला झंडा दिखा मुर्दाबाद का नारा लगाने लगे. इसके बाद जब ग्रामीणों को कुशवाहा के आने का पता चला, तब उन्‍होंने केंद्रीय मंत्री का जमकर विरोध किया और काले झंडे लेकर सड़क पर उतर आये.

ग्रामीणों के गुस्‍से को देख उपेंद्र कुशवाहा ने खुद ग्रामीणों से बात की और उनकी समस्याओं को सुना. इस दौरान उन्‍होंने बताया कि मध्य विद्यालय के जर्जर हालत में होने की सूचना उन्हें किसी ने नहीं दी. साथ ही ग्रामीणों को आश्‍वासन भी दिया कि जल्द ही  इस विद्यालय के जर्जर भवन को ठीक कर दिया जाएगा. उनके बात करने के बाद लोगों ने रास्ता छोड़ा और उपेंद्र कुशवाहा वहां से निकल पाए.

मालूम हो कि उपेंद्र कुशवाहा इन दिनों बिहार की राजनीति में अक्‍सर सुर्खियों रह रहे हैं. वे नीतीश कुमार के नेतृत्‍व वाली सरकार पर राज्‍य में बदहाल शिक्षा के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। साथ ही उन्‍होंने नीतीश कुमार के 15 साल के कार्यकाल पर भी सवाल उठा चुके हैं। अभी हाल ही खीर वाले बयान ने एनडीए को असहज कर दिया था, जिसके बाद मामला तूल पकड़ने पर कुशवाहा ने अपने बयान का खंडन किया था और कहा था कि उनके बयान का मतलब एनडीए के खिलाफ नहीं था। हां एनडीए में कुछ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम पद पर नहीं देखना चाहते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

By Editor