राष्ट्रीय जनता दल के  वरिष्ठ नेता मोदी सरकार पर धारदार हमला करते हुए कहा है कि आजादी के बाद ऐसी नालायक सरकार अब तक नहीं बनी.

उन्होंने कहा कि  मंदिर तो आड़ है असल मकसद फिरसे सरकार बनाना उनका मकसद है.
तिवारी ने कहा कि बात इतनी ही भर नहीं है. समाज में अमन-चैन और मिल्लत क़ायम रखना किसी भी सरकार का पहला दायित्व है. लेकिन ये लोग तो बराबर नफ़रत की भाषा बोलते हैं.समाज में ज़हर का वमन करते रहते हैं. वोट के लिए समाज में वैर और तनाव फैला कर देश को कमजोर करने में लगे रहते हैं. कोई भी समाज जहाँ आपसी तनाव और नफ़रत पैदा की जा रही हो, कैसे आगे बढ़ सकता है !
राजद के पूर्व सांसद ने कहा कि जो भी अयोध्या गए होंगे उन्होने देखा होगा कि संपूर्ण अयोध्या में राम के नाम से मंदिरों की भरमार है. स्मरण होगा कि जहाँ मंदिर बनाने का अभियान चलाया जा रहा है वहाँ एक मस्जिद थी. यह कहा गया कि ठीक उसी स्थान पर राम जी की जन्म हुआ था. पूर्व में वहाँ मंदिर था. जिसको बाबर के सेनापति मीर बांकी ने तोड़ दिया और उसी स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर दिया.
तिवारी ने जोर दे कर कहा कि इस सवाल पर विशेषज्ञ भी बँटे हुए हैं. कुछ का कहना है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. कुछ का मानना है कि नहीं यहाँ मंदिर नहीं था. इस विवाद के हल का क्या तरीक़ा होगा !
 उन्होंने कहा कि  इस तरह के विवाद के निपटारे का पुराना रास्ता पंचायत का है. अगर पंचायत से मामले का समाधान नही निकलता है तो दूसरा रास्ता अदालत का है. पंचायत से इस मामले का हल नहीं निकल पाया. इस बीच मामला उच्चत्तम न्यायालय में पहुँच चुका और वहाँ लंबित है. अब ये उच्चत्तम न्यायालय पर जल्द फ़ैसला के लिए सार्वजनिक रूप से दबाव बना रहे हैं. इतना ही नहीं, फ़ैसला भी इनके मन मुताबिक़ होना चाहिए ! अन्यथा फ़ैसला नहीं मानेंगे. किसी भी तरह के विवाद में उच्चत्तम न्यायालय का निर्णय अंतिम होगा. हमारे संविधान की यही व्यवस्था है. मुँह से ये जो भी कहें, इनका आचरण बता रहा है कि इनका यक़ीन संविधान में नहीं है. यह चिंताजनक है. विशेष रूप से पिछड़ो, दलितों, आदिवासियों अकलियतों, महिलाओं और स्वतंत्र विचार रखने वाले तमाम लोगों के लिए यह और भी ज्यादा चिंताजनक है. क्योंकि इन्हें जो भी थोड़ा बहुत हासिल हुआ है वह हमारे संविधान के ही बदौलत मिला है.
 तिवारी ने कहा कि  पाँच वर्षों से दिल्ली में मोदी जी की सरकार है. इस बीच कभी राम मंदिर की चरचा नहीं. अब पाँच वर्ष बीतने वाला है. मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने के पहले देश की जनता से ढेर सारे वादे किए थे. उनको पुरा नहीं किया. बल्कि इनकी सरकार ने सामान्य आदमी का जीवन अत्यंत कठिन बना दिया है. इधर जितने भी उपचुनाव हुए हैं, अधिकांश में भाजपा हारी है. यहाँ तक कि इनके स्टार प्रचारक और ताक़तवर मुख्यमंत्री योगी जी भी अपनी सीट नहीं बचा पाए. गोरखपुर के उपचुनाव में भी इनको करारी हार मिली. इससे आभाष मिल रहा है कि लोग मोदी सरकार को बदलना चाहते हैं.
भाजपा और इसके समर्थक पराजय की संभावना से सशंकित हैं. इसलिए ये लोग राम मंदिर का कानफाड़ु शोर मचा रहे हैं. ये चाहते हैं कि राम के नाम पर लोग रोज़ी, रोटी और रोज़गार का सवाल  लोग भूल जाएँ. बेरोज़गार युवा, किसान, तथा मेहनत-मज़दूरी कर अपना और परिवार का पेट चलाने वाले लोग अपनी तकलीफ़ और पिछले चुनाव के इनके वादे को भूल जाएँ. राम के नाम पर देश के लोगो के बुद्धि-विवेक पर ये लोग परदा डाल देना चाहते हैं. पुरानी कहावत है ‘भूखे भजन ना होहीं गोपाला’.
 अपने बयान में उन्होंने यह भी कहा कि   राम का नाम लेकर ये लोग बराबर देश को ठगते आए हैं. राम ने तो देश को जोड़ा था. ये उनका नाम लेकर देश को तोड़ना चाहते हैं. सावधान रहने की ज़रूरत है. इनसे अपने संविधान को बचाना है, देश को बचाना है तो चुकना नहीं है. अगले चुनाव में इनको पलट देना है.

By Editor