उच्चतम न्यायालय ने विशिष्ट पहचान संख्या (आधार) मामले में कोई आदेश या अंतरिम आदेश जारी करने से आज इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने हालांकि मामले की सुनवाई सात जुलाई की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा कि जिनके पास आधार कार्ड संख्या नहीं हैं, उन्हें सरकार की किसी भी योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकेगा।

केंद्र सरकार ने न्यायालय को अवगत कराया कि जिन लोगों के पास आधार संख्या नहीं है, उनके लिए इसकी तारीख 30 सितम्बर तक बढ़ा दी गयी है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने याचिकाकर्ताओं की ओर से जिरह करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के 2015 के आदेश में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि आधार कार्ड/संख्या के अभाव में किसी भी व्यक्ति को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं किया जायेगा। श्री दीवान ने कहा कि आधार योजना को तब तक अनिवार्य नहीं किया जा सकता, जब तक वृहद पीठ अथवा संविधान पीठ निजता के हनन के मसले पर अपना फैसला नहीं सुना देती। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि अगर किसी भी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसके अधिकारों का हनन हो रहा है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। न्यायालय ने गत नौ जून को आधार को पैन से जोड़ने के केंद्र सरकार के आदेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि जब तक संविधान पीठ संबंधित मामले की सुनवाई नहीं कर लेती, तब तक सरकार के आदेश पर रोक रहेगी।

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