मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दलितों का मुकद्दर रहा है लेकिन सोमवार को दलित आईएएस अफसर भरी सभा में  फूट-फूट कर रो पड़े तो लगा कि यह गुलामी अभी जारी रहेगी.

रमेश थेटे: फूट-फूट कर रो पड़े
रमेश थेटे: फूट-फूट कर रो पड़े

यह वाक्या मध्य प्रदेश के वरिष्ठ दलित आईएएस अधिकारी रमेश थेटे के साथ हुआ. वह राज्य सरकार की प्रताड़ना से बेहद दुखी हैं. सरकार से उनका मतलब ब्रह्मणवादी व्यवस्था के पोषक अफसर और मंत्री. उनका दर्द दलित-आदिवासी फोरम में अचानक तब उजागर हो गया जब वह एक सम्मेलन में बोल रहे थे.

सुनाई व्यथा

इस घटना के बारे में मध्यप्रदेश के एक अन्य दलित अफसर ने नौकरशाही डॉट इन के सम्पादक इर्शादुल हक  से शेयर करते हुए कहा “सवर्णवादी मानसिकता दलितों को पालतू जानवर बनाये रखना चाहती है. अगर आप विरोध करते हैं तो आप तिल-तिल कर जीयेंगे और कोई आपकी मदद के लिए नहीं आयेगा”.

आईएएस होना भारतीय सिस्ट में गर्व और सम्मान की बात होती है.यह भारत की सबसे शक्तिशाली प्रशासकों का समूह है. लेकिन जब कोई दलित इस पद पर पहुंचता है तो इनमें से ज्यादा तर अपने करियर में प्रताड़ना और शोषण के शिकार होते हैं.

आईएएस शशि कर्णावत  की व्यथा

मध्यप्रदेश में ऐसी ही एक अन्य आईएएस अफसर शशि कर्णावत हैं. कर्णात ने भी अनेक बार अपनी पीड़ा नौकरशाही डॉट इन  सामने व्यकत की है. कर्णावत फिलहाल निलंबित हैं. रमेश थेटे और कर्णावत ने  राज्य सरकार की इसी नाइंसाफी, प्रताड़ना और मानसिक टार्चर के खिलाफ सोमवार को अंबेडकर पार्क में  दिन भर का धरना आयोजित किया.

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थेटे ने वहां मौजूद पत्रकारों को बताया कि उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके खिलाफ  नौ से अधिक मामले दर्ज किए गए, लोकायुक्त उनके पीछे पड़ा हुआ है, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने सभी मामलों में उनके पक्ष में फैसला दिया, उसके बाद उन्हें पदोन्नति मिली। वर्तमान में उन्हें बाल संरक्षण आयोग का सचिव बनाया गया है। थेटे ने बताया कि सरकार की प्रताड़ना के कारण ही उनके बच्चों के चेहरे की खुशी और पत्नी का सौंदर्य गुम गया है।

 

थेटे ने साफ लफ्जौं में कहा कि उन्हें प्रताड़ित सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि वह दलित वर्ग से हैं. थेटे इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए फूट-फूट कर रो पड़े. थेटे को आशंका है कि वह दलित-आदिवासी फोरम में आए हैं, इसलिए उनके खिलाफ  सरकार कार्रवाई कर सकती है। ऐसी आशंका उन्हें इसलिए है, क्योंकि लगातार उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है. थेटे ने कहा कि अगर उन्हें नोटिस भी दिया गया तो वह अन्न-जल त्याग कर मृत्यु को गले लगाएंगे.

शशि कर्णावत:दलित होना है अभिषाप
शशि कर्णावत:दलित होना है अभिषाप

शशि कर्णावत भी ऐसी प्रताड़ना की शिकार रही हैं. वह कहती हैं जिस तरह का प्रकरण उनके खिलाफ दर्ज कर उन्हें निलंबित किया गया है, ठीक वैसा ही मामला एक अन्य अधिकारी पर था, चूंकि वह दलित  वर्ग से नहीं थे इसलिए सरकार ने उसे संरक्षण दिया, वर्तमान में वह जिम्मेदार पद पर पदस्थ है।

By Editor