आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने आज कहा कि देश में आरक्षण समस्या नहीं, बल्कि आरक्षण पर राजनीति समस्या है। आर्थिक आधार पर सामाजिक विषमता को हटा कर सबको बराबर का अधिकार संविधान में दिया गया है। संघ इसके पक्ष में है। जिन्हें दिया गया वे तय करेंगे कि उन्हें कब तक नहीं चाहिए। किसे मिले इस पर संविधान पीठ विचार कर रही है। आरक्षण समस्या नहीं है। वे नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आरएसएस की तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के आखिरी दिन सवालों के जवाब दे रहे थे। 

नौकरशाही डेस्क

भागवत ने कहा कि जाति अव्यवस्था है। इसे भगाने का प्रयास करना चाहिए। एक बड़ी लाइन खींचो। सामाजिक विषमता की हर बात लॉक स्टॉक बैरल कर देनी चाहिए। हम संघ में जाति पूछते नहीं हैं। सहज प्रक्रिया से सबको लाएंगे। 50 के संघ में ब्राह्मण ही नज़र आते थे। अब ज़ोन स्तर पर सब जाति के आते हैं। हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

उनहोंने कहा कि जो लोग भारत में रहते हैं वो हिंदू हैं। लेकिन वो कहने से हिचकिचाते हैं। सभी अपने लोग हैं। एकता भारत की परंपरा रही है। उन्‍होंने कहा कि अन्‍य मतपंथों के साथ तालमेल करने वाली एकमात्र विचारधारा, ये भारत की विचार धारा है, हिंदुत्‍व की विचार धारा है। भारत में रहने वाले सबलोग हिंदू ही हैं, पहचान की दृष्टि से, राष्‍ट्रीय दृष्टि से. हिंदुत्व, Hinduness, Hinduism गलत शब्द हैं, ism एक बंद चीज मानी जाती है, यह कोई इस्म नही है, एक प्रक्रिया है जो चलती रहती है, गांधी जी ने कहा है कि सत्य की अनवरत खोज का नाम हिंदुत्व है, एस राधाकृष्णन जी का कथन है कि हिंदुत्व एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है।

 

 

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