नौकरशाही डॉट इन को तीन फोन टेप हाथ लगे हैं जिसमें नक्सली संगठन पीएलएफआई का कथित सरगना हिलसा के व्यवसायी से 20 लाख रुपये रंगदारी मांग रहा है. इस व्यवसाई को नक्सलियों ने गत 2 दिसम्बर को गोली मारी थी लेकिन वह बच गये थे. पूरा ट्रांस्क्रिप्ट.

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट इन

रंगदारी  न देने पर विश्वजीत को 2 दिसम्बर को गोली भी मारी थी
रंगदारी न देने पर विश्वजीत को 2 दिसम्बर को गोली भी मारी थी

हिल्सा के हार्डवेयर व्यवसायी विश्वजीत कुमार को पिछले वर्ष पीएलएफआई के उग्रवादियों ने उनकी दुकान के सामने गोली मारी थी. उनके पेट और कमर में लगी थी गोली. लेकिन वह बच गये थे. इस हमले में एक अन्य व्यवसायी की मौत हो गयी थी.

लेकिन इस महीने जनवरी की अलग-अलग तारीखो को विश्वजीत के पास फिर लगातार फोन आ रहे हैं. विश्वजीत के पास आखिरी बार  16 जनवरी को फोन आया.

नक्सली गणेश शंकर विश्वजीत से मगही में बात करता है. पढ़ें फोन टेप के मुख्य अंश-

नक्सली-हेलो-

विश्वजीत-हां.के बोलो हई

नक्सली– हम बोला ही पीएलएफ उग्रवादी संगठन के बिहार स्टेट सुप्रिमो- गणेश शंकर

विश्वजीत–  कहां से बोला हाऊ

नक्सली–  हम सरंगा जंगल से बोलाहिउ. मगर हमर अदमी हिलसा में नालंदा के गली-गली में रहा हऊ. तोरा हम कहले हिऊ कि बीस लाख रुपया हमर अदमी के दे दा. मैं आपको तीन चार दिन का समय दे रहा हूं. फिर सम्पर्क करेंगे.

विश्वजीत-हम ना समझलियो तोर बात. कऊंची कहा ही

नक्सली-हम उग्रवादी ही. उग्रवादी समझा ही ना. नक्सली..

विश्वजीत-कउंची बोला हु भैया.. हमरा समझ में न आवत हौ…

नक्सली-रे सुनाना.. तोर भाई अभी बच रहा है कि मर गया..

विश्वजीत– हमरा बोले  द न भिया.

नक्सली-सुन तोर भाई मर गया कि बच गया ई बतावा न.

विश्वजीत– अभी होस्पिटेल में है.

नक्सली–  हा ता सुन ले. बीस लाख रुपये तू हमरा भिर जमा कर. न ता अमन चैन से न रहे देबो तहरा…… (एक व्यवसाई का नाम लेते हुए) ऊहो पहले मजाके बुझा था. फिर सच्चाई पता चला त ऊ हमरा डिमांड पूरा किया.

विश्वजीत–  सुना न भिया. अभी हम टूटल ही भिया. हमरा छोड़ दा.

नक्सली-सुन. तू अगर एक बेर में बीस लाख ना दे सका ही तो दु-दु लाख रुपये जमा कर न जी. तब तू बच जैभी. ना ता जिंदगी बरबाद हऊ.राकेट लांचर से घरवा ध्वस्त कर देबु. बच्चा बच्चा के खत्म कर दे बू तोरा.

 विश्वजीत– हम बहुत परसानी में ही भिया..

नक्सली–  अरे दूत. पैसा हऊ तभे ता तोर भाई जिंदा हऊ. आ अजयवा मर गेलौ.

विश्वजीत-सुना न भिया.. तोहर अदमिया ता जेल से छूट गेलौ.

नक्सली -अरे हम अदमिया के बात छोडही ना. हमर अदमिया ता रोज जेल जैतौ और रोज जेल  छुटतौ.

विश्वजीत– अच्छा भिया.. हमरा का कहा ही.

नक्सली–  हम बस एतने कहा ही कि रंगदारी मांग रहल हियौ ता मांग रहल हियौ. हम कुछो ना सुनबौ.

विश्वजीत-तू कहा ही जे पैसा दा. आ पुलिस कहा ही जे एक्को पैसा न देवे के हऊ….

नक्सली-पुलिस.. पुलिस मादर…..द त बोलबे कर तौ. पुलिसवा तोरा कहा हौ ना. ता पुलिसवा तोरा गोली खाये से न बचैतौ. हम कह दैलियौ तो कह देलियौ. हम चार दिन का टैम दे हियौ तोरा. उकर बाद तू सोच लिहै. तू बीस लाख एक बेर मे न दे सकत ही ता दु-दु लाख करके देवे लेल कहित हू तोरा. सुन ले.

 

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9572725103, 9931580084 इन नम्बरों से मिली धमकी

विश्वजीत के इन नम्बरों पर आये फोन -7870768134, 9835881421

डीएसपी से की शिकायत

विश्वजीत को गोली लगने के पहले उन्होंने  29.9.15 को इसकी सूचना हिलसा थाना को दी थी. उस दिन थाना प्रभारी मदन प्रसाद ने एफआईआर दर्ज की थी. ،

परवेंद्र भारती डीएसपी हिलसा. इस नम्ब र को सर्विलांस पर लिये हुए. ओडियो क्लिप डीएसपी के पास भी होगा.

विश्वजीत ने ताजा धमकी की सूचना डीएसपी हिलसा को फिर से दी है. डीएसपी ने फोन से धमकी देने वाले फोन का नम्बर भी नोट किया है.

By Editor