यह मीडिया की अति सक्रियता का दौर है. जहां खबरों के साथ, खबरों की प्रतिक्रिया भी लम्हों में दुनिया तक पहुंच जाती है. लिहाजा प्रत्येक राजनीतिक दल के लिए ब्रिलियेंट, तार्किक, संप्रेषण में माहिर और विरोधियों  को ध्वस्त कर देने वाले प्रवक्ताओं की जरूरत है.

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

 

 

पिछले एक डेढ़ दशक में राजनीतिक दलों ने खुद को इसी तरह से विकिसत भी किया है. इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने काफी हद तक समय के अनुकूल बदलाव किये हैं. चूंकि यह ऐसा दौर भी है जब प्रवक्ताओं के लिए न सिर्फ शब्द, संप्रेषण और तथ्य का जखीरा चाहिए बल्कि विजुअल मीडिया की आशा यहां तक पहुंच चुकी है कि टीवी पर बातें करने वाले का बॉडीलैंग्वेज  भी प्रभावशाली हो. जो 24 घंटे चीखते चिल्लाते चैनलों पर बैठ कर ऐंकरों को संतुष्ट करे हीं, विरोधियों को भी मात दे सकें. अब वह दिन नहीं रहा कि किसी पार्टी का नेता   अकेले ही अपने भाषणों के जादू से अपने समर्थकों को प्रभावित और विरोधियों को ला जवाब कर सके.  अब ट्वेंटी फोर सेवन के इस मीडियाई शोर में इन चैनलों पर बैठे प्रवक्ताओं की काबिलियत भी पार्टी की स्वीकार्यता को सुनिश्चित करने लगे हैं.

राष्ट्रीय दलों ने इन तथ्यों को पहले समझा. इसलिए उन्होंने इसकी तैयारी भी पहले ही कर ली. लेकिन क्षेत्रीय दलों ने इस पर अब तवज्जो देना शुरू किया है. आप तमाम क्षेत्रीय दलों के प्रवक्ताओं की सूची उठा के देख लें. इन में  हर दल में इक्के दुक्के ही ऐसे प्रवक्ता मिलेंगे जो प्रभाव छोड़ पाने में सफल होते हों. अन्यथा तमाम दलों की हालत एक समान है. बिहार के क्षेत्रीय दलों जैसे राजद, जद यू, हम, लोजपा, जाप तमाम पार्टियों के प्रवक्ताओं की सूची भी कमोबेश एख जैसी है.

बिहार के क्षेत्रीय दलों में जनता दल यू में कुछेक प्रवक्ता हैं जो पार्टी के पक्ष को मजबूती से रख पाते हैं. इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल की स्थिति उम्मीद के अनुरूप नहीं है. हालांकि यह राष्ट्रीय जनता दल ही है जिस पर भाजपा जैसी विपक्षी पार्टियां लगाता धारदार हमला करती रहती हैं. ऐसे में राजद को माकूल जवाब देने के लिए  सिर्मफ और सिर्नोफ ज झा के भरोसे रहने से काम नहीं चलेगा. प्रवक्ता के अंदर विद्वता के साथ संप्रेषण की काबिलियत की उम्मीद भी की जाती है. जिसकी राजद में नितांत कमी है. यह कमी पिछले दो तीन महीने से राज को तब और खलने लगी है जब सुशील मोदी और भाजपा की तरफ से धमाकेदार आक्रमण हो रहा है.

अब खबर है कि बीते दिनों उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस कमी को खुद भी महसूस किया और पार्टी प्रवक्ताओं के साथ बैठक की है. लेकिन प्रवक्ताओं की मौजूदा टीम पर ही भरोसा करने के बजाये इस टीम में कुछ और प्रभावशाली वक्ताओं और धारदार तरीके से विरोधियो पस्त करने वालों को टीम में शामिल करने की जरूरत है.

 

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