गोवा पुलिस ने तहलका पत्रिका के सम्पादक तरुण तेजपाल पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कर लिया है और अब संभव है तरुण कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं.tarun

इर्शादुल हक

स्टिंग आप्रेशन के लिए विख्यात तरुण की तहलका वेबसाइट ने अपने ऑप्रेशन वेस्ट एंड से एनडीए हुकूमत की चूलें हिला दीं थी.उसके बाद तहलका के सफर में एक वक्त ऐसा भी आया जब तहलका बंदी के कगार पर पहुंच गया. और नतीजा यहां तक पहुंच गया कि तहलका के पास अपनी सम्पत्ति के रूप में महज टेबल और कुर्सियां ही बची थीं.

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लेकिन एक बार से खड़ा होने का हौसला दिखाने की तहलका की टीम ने कोशिश की और पिछले कुछ सालों में इसने आर्थिक मोर्चे पर नयी ऊचाइयां छू लीं. कहा जाता है कि इस सफर में तहलका ने अच्छे-बुरे दोनों कामों का सहारा लिया. तहलका की खोजी रिपोर्ट की जहां सराहना हुई वहीं पत्रकारिता करते हुए इसने कई नैतिक मूल्यों का उल्लंघन भी किया.

तहलका ने ‘झूठ बोले कौआ काटे’ के स्लोगन से अपने सफर की शुरूआत हिंदी पत्रिका के रूप में की. और कुल मिला कर इसने कुछ ऐसे दोस्त बनाये जिनने उसे आर्थिक मदद भी दी.
खुद तरुण ने भी अपने सहयोगियों को ये बातें बताई और कहा करते थे कि वह किन लोगों के खिलाफ कभी नहीं लिख सकते. इनमें भाजपा नेता और विख्यात वकील राम जेठ मलानी भी सामिल हैं.

तहलका हिंदी और संजय दुबे

तहलका हिंदी के कार्यकारी सम्पादक संजय दुबे अपने हिंदी पत्रिका के साथियों से कहा भी था कि तहलका, चाहे कुछ भी हो जाये रामजेठ मलानी के खिलाफ कभी नहीं लिख सकता.

उन्होंने एक बार तरुण पर चर्चा करते हुए कहा था कि एक बार बुरे दिनों में तरुण रामजेठ मलानी के पास पहुंचे तो कैसे उन्होंने दस लाख का चेक एक मुश्त देकर मदद की थी.

रामजेठ मलानी ही ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिन्होंने तहलका के बुरे दिनों में मदद की थी. तहलका को काफी निकट से जानने वाले एक पत्रकार कहते हैं, तरुण की अच्छी खासी नजदीकी आमिर खान से है और आमिर भी तहलका को आर्थिक सहायता करने वालों में आगे रहे हैं.

न सिर्फ आमिर ने, तहलका को आर्थिक मदद दी बल्कि तहलका के सालान आयोजित होने वाले जलसे थिंक फेस्ट में शामिल हो कर तहलका के इस फेस्टिवल को लोकप्रियता पहुचाते रहे हैं. मालूम हो की तहलका के सालाना जलसे थिंक फेस्ट फंड जेनेरशन का एक बड़ा माध्यम रहा है. थिंक फेस्ट के आयोजन में इसकी प्रबंध सम्पादक सोमा चौधरी का महत्वपूर्ण योगदान होता है. सोमा ने कई बार इस बात का उल्लेख भी किया है.

तहलका को पूंजी रूप में मदद करने वालों की लिस्ट में शाहरुख खान का नाम तो है ही साथ ही कांग्रेसी नेता कपिल सिबल भी शामिल हैं. इस प्रकार भाजपा हो या कांग्रेस तहलका के सहयोग में दोनों पार्टियों का हाथ रहा है. कहा तो यह जाता है कि कपिल सिबल तहलका के शेयर धारकों में से एक हैं. इसके अलावा तहलका को फंड मुहैया कराने वालों में रॉबर्ट डी नीरो भी शामिल हैं.

तहलका के चीफ एडिटर के बतौर तरुण तेजपाल ने जो भी किया उसकी आलोचना की जानी चाहिए और कानून को इस मामले में अपना काम करना चाहिए पर . लेकिन यह भी याद रखा जाना चाहिए कि ऐसे संगीन मामलों में अपने गुनाहों की स्वीकारोक्ति करके तरुण ने एक मिसाल कायम की है. जबकि राजनीति से लेकर कार्पोरेट जगत तक, और मीडिया से लेकर फिल्म उद्योग में ऐसे संगीन मामले दबे के दबे रह जाते हैं. ऐसी घटनाओं को अपने लम्बे हाथों के बूते दबाने की लम्बी फेहरिस्त है, पर तरुण ने जिस तरह से कहा है कि वह कानून से साथ सहयोग करेंगे, उनकी तारीफ करनी होगी.

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