७ सितम्बर। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित हिंदी-पखवारा और पुस्तक-चौदस मेला के ७वें दिन आज, हिंदी के महान साहित्यकार और स्वतंत्रता सेनानी रामवृक्ष बेनीपुरी का ५०वाँ पुण्य-स्मृति समारोह मनाया गया। इस अवसर पर नवोदित कवियों के लिए’काव्य-कार्यशाला’के रूप में एक प्रशिक्षण-कार्यक्रम भी चलाया गया, जिसमें’कविताई के गुर’बताए गए।

स्वागत के क्रम में बेनीपुरी जी को स्मरण करते हुए, विदुषी साहित्यकार तथा सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा ने कहा कि, साहित्य-जगत में जिन महान हिन्दी सेवियों के कारण, बिहार का नाम आदर से लिया जाता है,उनमें रामवृक्ष बेनीपुरी का स्थान अगर-पांक्तेय है। वे क़लम के जादूगर थे। सभा के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि, बेनीपुरी जी के हृदय में सदा हीं एक अग्नि धधकती रही, जिसने उनकी क़लम को सदा हीं तपाए रखी। वह अग्नि विद्रोह की थी,जो परतंत्रता समेत सभी अत्याचारी शक्तियों को जलाकर भस्म करने को आतुर थी। वही अग्नि सत्य के पक्ष में खड़ी, सत्य और स्वतंत्रता के मार्ग को प्रकाशित भी करती थी।

पुण्य-स्मृति समारोह के पश्चात काव्य-कार्याशाला आरंभ हुई। सुप्रसिद्ध कवयित्री डा शांति जैन ने मुख्य-शिक्षिका के रूप में पद्य के विभिन्न रूपों और विधाओं के विषय में विस्तृत चर्चा के साथ उसकी रचना-प्रक्रिया और छंद-विधान की भी सोदाहरण जानकारी दी। नवोदित कवियों ने, मात्रिक और वार्णिक विधियों से मात्रा की गणना सिखी। सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ भी शिक्षक की भूमिका में दिखे। उन्होंने भी गीत, ग़ज़ल,दोहा, मुक्तक,रुबाई आदि विधाओं का प्रारंभिक ज्ञान दिया। प्रतिभागीगण कुछ नया सीखने की संतुष्टि और प्रसन्नता का भाव लेकर विदा हुए।

इस अवसर पर, कवि विजय गुंजन, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, डा सुधा सिन्हा, डा शालिनी पांडेय, कवि राज कुमार प्रेमी, डा अर्चना त्रिपाठी, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’,पंकज प्रियम, सुनील कुमार दूबे, डौली अनिल, डा अर्चना त्रिपाठी, मधु रानी,प्राची झा, ओम् प्रकाश वर्मा, डा सुरेश चंद्र मिश्र, जय प्रकाश पुजारी, राज किशोर झा, डा विजय कुमार सिन्हा, चंदा मिश्र, नरेंद्र देव, आनंद किशोर मिश्र, सुशांत सिंह,आनंद मोहन झा,सच्चिदानंद सिन्हा,प्रो सुशील झा तथा ओम् प्रणय समेत अनेक कवि और बुद्धिजीवी उपस्थित थे।

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