केंद्र सरकार और भारतीय किसान यूनियन के बीच मंगलवार को हुई बैठक में मनरेगा को खेती से जोड़ने के लिए गठित मुख्यमंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति में किसानों के प्रतिनिधियों को शामिल करने, दस वर्ष से अधिक पुराने ट्रैक्टर समेत डीजल चालित कृषि यंत्रों के संचालन पर लगायी गयी रोक के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने और खेती के काम आने वाले वस्तुओं को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के पांच प्रतिशत के दायरे में लाने के लिए उचित कदम उठाने पर सहमति बनी।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों तथा भारतीय किसान यूनियन के युद्धवीर सिंह, अजमेर सिंह लाखोवाल, धर्मेन्द्र मलिक तथा कुछ अन्य प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

लगभग तीन घंटे तक चली इस बैठक में इस पर सहमति बनी कि मनरेगा को खेती से जोड़ने के लिए नीति आयोग के तत्वाधान में मुख्यमंत्रियों की बनी उच्च स्तरीय समिति में किसानों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। दस वर्ष से अधिक पुराने ट्रैक्टर समेत अन्य डीजल चालित कृषि यंत्रों के संचालन पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के द्वारा लगायी गयी रोक के विरूद्ध सरकार पुनर्विचार याचिका अतिशीघ्र दाखिल करेगी। राज्यों से भी इसी तरह की कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाएगा।

बैठक में खेती के काम आने वाली वस्तुओं को जीएसटी के पांच प्रतिशत के दायरे में लाने का प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल में लाया जाएगा। फसलों के उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने के निर्णय को रबी फसलों में भी लागू रखा जाएगा। इसके साथ ही किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों को केंद्र की ओर से सलाह भेजी जाएगी।

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