केंद्र सरकार की एक उच्चस्तरीय समिति ने खाद्य सुरक्षा के दायरे को 67 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत करने की सिफारिश की है।  भारतीय खाद्य निगम के ढ़ाँचागत सुधार के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति के प्रमुख शांता कुमार ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में 67 प्रतिशत लोगों को लाना गलत था। उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने वोट के लिए खाद्य सुरक्षा के दायरे को बढ़ाया था। श्री शाँता कुमार ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि भारतीय जनता पार्टी यदि उस समय इसका विरोध करती तो उससे गलत संदेश जाता है और विपक्षी दल चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा पर हमला करते।

 

समिति ने पूर्वी क्षेत्र में फसलों की खरीद पर ध्यान केंद्रित करने, किसानों को सीधे प्रति हेक्टेयर सात हजार रूपये उर्वरक सबसिडी देने, भंडारण का कार्य निजी क्षेत्र को सौंपने तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से जरूरतमंद परिवारों को सीधे खाद्य सबसिडी का लाभ देने की सिफारिश की है।   श्री  कुमार ने कहा कि समिति की रिपोर्ट कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप दी गयी और उन्हें आशा है कि सभी सिफारिशों को लागू की जाती है तो खाद्य सबसिडी में 3 खरब 30 अरब रूपये की सरकार को बचत होगी।

श्री शाँता कुमार ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम से पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश और ओडि़शा में गेहूँ, धान एवं चावल की खरीद इन राज्यों को सौंपने तथा पूर्वी क्षेत्र के राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम में इन फसलों की खरीद पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है।

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