आदरणीय गिरिराज सिंह जी. आप आतंकवाद में ‘एक समुदाय’ के होने की रट लगा रहे हैं, अगर आपको जानकारी नहीं तो हम बताते हैं कि सच्चाई क्या है. लेकिन आप आंकड़ों को भी मानेंगे नहीं क्योंकि बिहार की सत्ता से अलग होते ही आप जिस मानसिक व्यथा से गुजर रहे हैं, इसे वही समझ सकता है जो सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है.

गिरिराज सिंह: नफरत के बोल
गिरिराज सिंह: नफरत के बोल

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट इन

गिरिराज जी, आतंकवादी, आतंकवादी होते हैं. इसे समुदाय विशेष से जोड़ने की मानसिकता उतनी ही खतरनाक है जितनी खुद आतंकवाद देश के लिए खतरनाक है. पर चुनावों के दौरान और चुनाव बीतने के तुरंत बाद आपने जिस तरह का बयान दिया इससे यह बार बार साबित हुआ कि आप सत्ता के लिए घृणा की राजनीति का सहारा लेते हैं. आपका मकसद सत्ता है, देश हित आपकी प्राथमिकता में कतई नहीं है.

आपने पहले कहा कि मोदी विरोधियों को पाकिस्तान भेज दिया जायेगा. चुनाव खत्म होते ही आपने कहा कि आतंकवादी एक विशेष समुदाय के ही होते हैं. इतना ही नहीं आपने अपने वक्तव्य को दोहराया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप जो कह रहे हैं वह कह रहे हैं, उससे पीछे हटने का आपका कोई मकसद नहीं है.

 

क्या आप जब इस तह का बयान दे रहे होते हैं तो यह सोचते हैं कि आप देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हैं? अगर आपकी देशभक्ति यही है तो आइए देखिए इन तथ्यों को.

इस देश का अधिसंख्य नागरिक सितम्बर 2008 में अल्पसंख्यक बहुल इलाके मालेगांव ब्लास्ट में शामिल आतंकवादियों को भी सिर्फ आतंकवादी मानता है इसी तरह हैदराबाद, समझौता एक्सप्रेस और अनेक जगहों पर कराये गये आतंकवादी हमलों में भले ही कर्नल प्रसाद पुरोहित, प्रज्ञा ठाकुर जैसों का नाम सामने आया, इसे भी देश सिर्फ और सिर्फ आतंकवादी समझता है न कि किसी खास समुदाय का.

ये रही लिस्ट

गिरिरजा जी आपको फिर से याद दिलाता हूं कि देश की नामचीन आतंक विरोधी जांच करने वाली एजेंसी एनआईए की रिपोर्ट को खुद तत्कालीन गृहसचिव आरके सिंह ने जारी किया था. उस सूची के आतंकवादियों के  नाम आप पढ़ेंगे तो आपके होश उड़ जायेंगे. आपको यहां याद दिलाना जरूरी है कि आरके सिंह आज भारतीय जनता पार्टी में हैं और भाजपा के टिकट से बिहार से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. आरके सिंह की लिस्ट के नाम आप फिर से पढिये- सुनील जोशी, संदीप डांगे, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद, राजेश समुंदर, मुकेश वासानी, देवेंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर लेवे, कमल चौहान, रामजी कलसांगरा. लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती. पर यह देश आपकी तरह इन्हें किसी खास समुदाय के आईने में देखने के बजाये सिर्फ और सिर्फ आतंकवादी मानता है.

 

गिरिराज जी अब आइए आंकड़ों के आईने में यह देखने की कोशिश करें कि इस देश को किस- किस आतंकवादी समुहों से कितना नुकसान उठाना पड़ा है, आपको फिर याद दिलाऊं कि ये आतंकवादी हैं, सिर्फ आतंकवादी.

इंस्टिच्यूट ऑफ कंफ्लिक्ट मैनेजमेंट का आंकड़ा

इंस्टिच्यूट ऑफ कंफ्लिक्ट मैनेजमेंट ( वेबसाइट देख सकते हैं) की जमा की गयी रिपोर्ट देखिए.इसने  2008 से 2013 के बीच जितनी भी आतंकवादी वारदातें हुई हैं उसकी पूरी लिस्ट जमा कर रखी है. इसके अनुसार बीते 5 सालों में जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठन या फिर इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर ए तैयबा जैसे संगठनों ने अब तक 934 आम नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की जानें ली हैं.

लेकिन इसी अवधि में माओवादी आतंकियों और उत्तर पूर्व के राज्यों में सक्रिय आतंकी संगठनों ने 4163 लोगों की हत्या कर चुके हैं.

गिरिराज जी, आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि माओवादी-आतंकवाद और उत्तर पूर्व के राज्यों में सक्रिय आतंकवादी किस समुदाय से आते हैं. यहां तक कि 2008 का साल जो आतंकी घटनाओं का सबसे ज्यादा शिकार रहा, उसमें भी लश्कर और इंडियन मुजाहिदीन ने जितनी मानवी जानें लीं उससे चार गुना जाने मणिपुर, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा में सक्रिय आतंकवादियों ने ली. अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट बताती है कि उत्तर पूर्व में सक्रिय आतंकवादी संगठनों में एक भी मुस्लिम संगठन शामिल नहीं हैं. अखबार सप्ष्ट लिखता है कि इन इलाकों में सक्रिय संगठन हिंदू समुदाय से हैं इसी तरह माओवादी आतंकियों में मुसलमान नहीं हैं.

इतना ही नहीं एक और तथ्य आपके सामने रखना जरूरी है गिरिराज जी. पूरी दुनिया के स्तर पर आतंकवाद का जो तथ्य है उसे भी आप जान लीजिए. दी सेंटर फॉर रिसर्च ऑन ग्लोब्लाइजेशन का शोध बताता है कि 1970 से 2012 के दौरान अमेरिका में जितनी आतंकवादी वारदातें हुई उनमें महज 2.5 प्रतिशत घटनावों को मुसलमानों ने अंजाम दिया.

मैं यह चाहता हूं कि गिरिराज सिंह जी आप इस पत्र को पढ़ें. पर मैं इस बात की कत्तई उम्मीद नहीं करता कि आप घृणा आधारित राजनीति को बंद कर देंगे. हां मैं जानता हूं कि आप तभी खामोश रहेंगे जब आप सत्ता में होंगे. जैसा कि 2005 से 2013 तक आप बिहार सरकार का हिस्सा थे तो आपके मुख से घृणा भरे शब्द निकलने बंद हो गये थे.

By Editor

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