गांधीनगर छोडऩे की मंशा, मोदी का भी यही इरादा, सिंधी वोटों की संख्या देखते हुए रायपुर लोकसभा सीट ज्यादा मुफीद, नीतीश चाहते हैं पटना सीट से चुनाव लड़ें आडवाणी.

देशपाल सिंह पंवार,नयी दिल्ली से

नई दिल्ली. आम चुनाव भले ही अगले साल हों लेकिन मनमोहन सरकार के जो हाल हैं उसे देखते हुए समय पूर्व चुनाव की संभावना के पूरे-पूरे आसार हैं। दोनों ओर के छत्रप अपने-अपने किलों को तलाश रहे हैं। हार के डर से ठौर भी बदलने की तैयारी में हैं.advani

बीजेपी में भी पार्टी स्तर पर लोकसभा चुनाव के लिए सही प्रत्याशियों को तलाशने का काम चल रहा है. बड़े महारथी कहां से लड़ेंगे ये काफी कुछ का तय है लेकिन लालकृष्ण आडवाणी की मंशा सीट बदलने की है. कहा कुछ भी जाए लेकिन दो साल से जिस तरह नरेंद्र मोदी के साथ उनकी खटपट है उसे देखते हुए वो गांधीनगर की बजाय सुरक्षित सीट चाहते हैं. उनकी ये चाहत रायपुर लोकसभा सीट से पूरी होती नजर आ रही है.

बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने रायपुर सीट से चुनाव लडऩे की श्री आडवाणी से गुजारिश की है. आडवाणी विकास यात्रा की शुरूआत करने 6 मई को छत्तीसगढ़ गए थे. इस आग्रह के पीछे तर्क यही दिया गया कि ये सीट 96 से बीजेपी के ही पास है और सिंधी बाहुल्य क्षेत्र भी है. तर्क ये भी दिया गया है कि यहां से आडवाणी के चुनाव लडऩे की वजह से बीजेपी यहां और भी मजबूत होगी.

हां अगर ऐसा हुआ तो पांच बार लगातार चुनाव जीतने वाले बीजेपी नेता रमेश बैस को कोई नया ठौर तलाशना होगा.

इसमें कोई दो राय नहीं कि आडवाणी बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं. बीजेपी की किसी सीट से वो आसानी से चुनाव जीत सकते हैं. अब तक गांधीनगर उनकी पंसदीदा सीट रही है लेकिन अंदर से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक गुजरात से चुनाव लडऩे की भी आडवाणी की चाहत नहीं है और ना ही वो राज्यसभा में जाने की इच्छा रखते हैं. लिहाजा नई सीट के लिए कई क्षेत्रों पर निगाहें डाली जा रही हैं.

बिहार में नीतीश कुमार की नजदीकी की वजह से वहां भी पटना सीट को आडवाणी के लिए सही माना जा रहा है. पर रायपुर लोकसभा सीट को ज्यादा मुफीद आडवाणी के लिए माना जा रहा है. छत्तीसगढ़ में बीजेपी का राज है. पांच साल से सीट पास है.ऊपर से सिंधी वोटों की बहुतायत.औपचारिक आग्रह और घोषणा भले ही बाद में हो लेकिन सब कुछ आडवाणी की हां और ना पर ही निर्भर है.

अगर वो हां करते हैं तो यकीनन छत्तीसगढ़ में बीजेपी की राजनीति में काफी कुछ समीकरण बनने और बिगडऩे के आसार पैदा होंगे.

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