गुजरात के ऊना में गाय की चमड़ी निकालने वाले युवकों की बेदर्दी से पिटायी के बाद राज्य में भारी आंदोलन चल रहा है प्रतिरोध में दलित मृत गायों को दफ्तरों के सामने डाल रहे हैं जबकी मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा खबर दबाये जाने से उसकी भारी फजीहत हो रही है.

गुजरात में सार्वजनिक स्थलों पर मृत गाय रख कर प्रतिरोध ( फोटो सोशल मीडिया)
गुजरात में सार्वजनिक स्थलों पर मृत गाय रख कर प्रतिरोध ( फोटो सोशल मीडिया)

गौरतलब है कि  ग्यारह जुलाई को वेरावल के ऊना गांव में गाय की चमड़ी उतारने के मामले में दलित युवकों की पिटाई के बाद ये मामला शुरू हुआ.

फेसबुक और ट्विटर के अलावा अन्य सोशल साइट्स पर बड़ी संख्या में लोग मेन स्ट्रीम मीडडिया द्वारा खबर को डाउनप्ले किये जाने से नाराज हैं. लोगों का कहना है कि सवर्णों द्वारा दलित उत्पीड़न की पराकाष्ठा के बावजूद नेशनल मीडिया इस खबर को दबा रहा है. ध्यान रहे कि चार दलितों को कार में बांध कर और उन्हें नंगा करके पीटता हुआ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद ही इस खबर को बाहरी दुनिया के लोग जान सके हैं, लेकिन हफ्ते भर तक मीडिया ने इसे इग्नोर किया. सोशल साइट पर एक व्यक्ति ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा कि राज्य की सवर्णवादी भाजपा सरकार के पतन की यह शुरुआत है. उसने लिखा कि इसकी खामयाजा भाजपा को उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी भुगतना पड़ेगा.

हालांकि इस घटना को सोशल मीडिया में आने के बाद गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने पिछले हफ़्ते ऊना में दलितों पर हमले के मामले में सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हैं और मामले की तेज़ सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत बनाने की घोषणा की है.

 

दिलीप मंडल ने इस संबंध में फेसबुक पर अनेक पोस्ट डाले हैं. वह लिखते हैं- सुना आपने? केंद्रीय मंत्री और पूर्व बीजेपी अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने कहा है कि गाय के मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए!  क्योंकि गाय अब मुसलमानों, दलितों और ओबीसी को एकजुट कर रही है. गाय का खेल बीजेपी को महंगा पड़ने लगा है. उधर दलित नेता अशोक भारती ने ट्विटर पर आंदोलन की तस्वीरें डालते हुए लिखा है कि मीडिया दलित विरोधी है.

 इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि वे ऊना जा कर वहां का जायजा लेंगे.

 

By Editor