मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का सपा में विलय को अखिलेश यादव द्वारा रोकवाने के बाद चाचा शिवपाल यादव से उनकी तनातनी सातवें आसमान पर पहुंच गयी थी लेकिन अब यह मनमुटाव नर्म पड़ता दिख रहा है.shivpal.akhilesh.mulayam

नौकरशाही ब्यूरो

चाचा शिवपाल यादव व भतीजे अखिलेश यादव के बीच बढ़ती खाई को पाटने की दिशा में बड़ी पहल की खबर है. यादव परिवार के इन दो शक्ति केंद्रों के बीच रंजिश काफी गहरी हो गयी थी. हालात यहां तक आ चुके थे कि मुलाय सिंह यादव ने सीएम अखिलेश को पिछले दिनों डांट पिलाते हुए यहां तक कह दिया था कि वह  और शिवपाल अगर अलग हो जायें तो पार्टी में कुछ बचेगा ही नहीं.

 

यह मनमोटाओ बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय के फैसले के बाद काफी बढ गया था. नतीजतन यह विलय टाल दिया गया था.

 

एक विश्वस्त सूत्र ने नौकरशाही डॉट कॉम को बताया है कि शिवपाल यादव अखिलेश यादव को यह समझाने में सफल रहे हैं कि मुख्तार अंसारी की सियासी पकड़ को नजर अंदाज करना सपा के लिए जोखिम भरा हो सकता है.

 

लेकिन अब जो खबरें आ रही हैं उससे लगता है कि चाचा-भतीजे के बीच का मनमुटाव कम हुआ है. याद रहे कि पिछले दिनों शिवपाल यादव अखिलेश से इतने आहत हुए  थे कि उन्होंने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी. शिवपाल, अखिलेश कैबिनेट में पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं.

अखिलेश से मिल गिले-शिकवे दूर

खबरों के अनुसार शुक्रवार को शिवपाल और अखिलेश की मुलाकात सीएम के आधिकारिक आवास में एक घंटे तक चली. इसके बाद शिवपाल ने पत्रकारों से कहा कि हमने अनेक मुद्दों पर बात की. अखिलेश सरकार ने अब तक शानदार काम किया है और हम दोबारा सत्ता में आयेंगे.

दर असल शिवपाल यादव, मुलायम सिंह के कोर ग्रुप के मजबूत सदस्य हैं. सपा के पैर जमाने में शुरुआती दिनों में ही शिवपाल यादव के प्रबंधन, संगठन कौशल और यहां तक कि फंड मैनेजमेंट के नेताजी कायल रहे हैं. उस समय अखिलेश का कोई सियासी वजूद भी नहीं था.

लेकिन पिछले दिनों मुख्तार अंसारी के पार्टी में शामिल किये जाने को ले कर चाचा-भतीजे में इतनी रंजिश बढ़ी कि मुख्तार अंसारी के नेतृत्व वाले कौमी एकता दल के सपा में विय के फैसले को टालना पड़ा था. हालांकि कौमी एकता दल के विलय पर मुलायम की सहमति थी लेकिन अखिलेश ने, बताया जाता है कि इस विलय के खिलाफ अड़ गये थे.

अखिलेश के इस रवैये पर शिवपाल यादव ने अपने स्वाभिमान से जोड़ लिया था. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मुख्तार अंसारी की पार्टी का सपा में तुरंत विलय होगा या नहीं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पार्टी हित में मुख्तार के कौमी एकता दल का देर सबेर विलय होना लग भग तय है. एक विश्वस्त सूत्र ने नौकरशाही डॉट कॉम को बताया है कि शिवपाल यादव अखिलेश यादव को यह समझाने में सफल रहे हैं कि मुख्तार अंसारी की सियासी पकड़ को नजर अंदाज करना सपा के लिए जोखिम भरा हो सकता है.

 

 

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