केंद्र सरकार ने 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा की जनजातीय आबादी वाले सभी प्रखंडों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय खोलने का निर्णय लिया है। देश में पहले से इस तरह के 102 विद्यालय हैं और इस फैसले के बाद 462 नये विद्यालय खोले जायेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की को हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी। बैठक के बाद विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा तथा 20 हजार या उससे ज्यादा की जनजातीय अबादी वाले हर प्रखंड में एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल खोले जायेंगे। पहले दो साल में वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान इस पर 2,242.03 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।

इन विद्यालयों का संचालन करने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत नवोदय विद्यालय समिति की तर्ज पर एक स्वायत्त सोसाइटी बनायी जायेगी। पहले से स्वीकृत 102 स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए अधिकतम पाँच करोड़ रुपये की राशि प्रति स्कूल दी जायेगी। साथ ही 462 प्रखंडों में ऐसे नये विद्यालय खोले जायेंगे। नये विद्यालयों के निर्माण के लिए लागत राशि 12 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये की गयी है। पूर्वोत्तर, पर्वतीय तथा नक्सलवाद प्रभावित इलाकों और दुर्गम क्षेत्र में इन विद्यालयों के निर्माण के लिए 20 प्रतिशत अतिरिक्त राशि दी जायेगी।वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इन विद्यालयों में प्रति छात्र सालाना खर्च 61,500 रुपये से बढ़ाकर 1,09,000 रुपये कर दी गयी है।

जनजाति बहुल 163 जिलों में खेल-कूद परिसरों का विकास किया जायेगा। इसके लिए प्रत्येक जिले को पाँच करोड़ रुपये की राशि दी जायेगी और निर्माण 2022 तक पूरा होना है। वित्त वर्ष 2019-20 तक इनमें से 15 खेल-कूद परिसरों के निर्माण के लिए वित्तीय प्रावधान को भी मंजूरी दी गयी है। एकलव्य आवासीय विद्यालयों के रखरखाव के लिए पंचवर्षीय राशि की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख प्रति स्कूल कर दी गयी है।

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