जमुई के पूर्व विधायक सुमित कुमार ने कहा है कि जिले का विकास तो चाहिए पर मुझे इसका कोई श्रेय नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि सिर्फ मुद्दा उठाना, विवाद खड़ा करना और फिर चुप्पी साध लेना आम तौर पर राजनीतिज्ञों की फितरत होती है.मैं इसके खिलाफ हूं.

सुमित कुमार चकाई के पूर्व विधायक हैं
सुमित कुमार चकाई के पूर्व विधायक हैं

नौकरशाही ब्यूरो, मुकेश कुमार
जमुई 

सुमित कुमार सिंह ने कहा  कुछ ऐसा ही जमुई में केन्द्रीय विद्यालय के मुद्दे पर हो रहा है। पिछले महीने जिले एक महत्वपूर्ण निर्वाचित जनप्रतिनिधि ने ऐसा ही किया। उन्होंने जिला अधिकारी के सिर पर अपनी नाकामी का ठीकरा फोड़ चलते बने।जबकि, उन्हें पता ही नहीं था कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने केन्द्रीय विद्यालय खोले जाने का नियम-कायदा विगत २५ नवम्बर को बदल दिया। उक्त बातें चकाई के पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह उर्फ विक्की सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही।

उन्होंने बताया कि अब केंद्रीय विद्यालय खोले जाने का प्रायोजन प्राधिकार केंद्र सरकार के मंत्रालय और विभाग, राज्य सरकार और केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासक को है। इस संबंध में जारी अधिसूचना में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि केंद्रीय विद्यालय खोले जाने का प्रस्ताव राज्य सरकार की ओर से आना चाहिए, न की जिला प्रशासन अथवा, जिलाधिकारी की ओर से,केंद्रीय विद्यालय की ओर से इतनी स्पष्ट उद्घोषणा के बाद भी देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठने वाले जनप्रतिनिधि तथ्यों को समझ न पाएं तो इसे उनकी अनभिज्ञता कहा जाए या, नकारेपन को छिपाने की सोची-समझी रणनीति।

 

बहरहाल, मैं इसे तूल नहीं देना चाहता, अगर उक्त जनप्रतिनिधि की जमुई में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की सदिच्छा है तो वह राज्य सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर लिखित रूप में इस संबंध में प्रस्ताव दें। उनके उस प्रस्ताव पर राज्य सरकार को अग्रेतर कार्रवाई हेतु मैं अपनी ओर से बिना किसी श्रेय की होड़ किये भरपूर प्रयत्न करूंगा।

जिले के विद्यार्थियों के लिए केंद्रीय विद्यालय स्थापित हो, इसके लिए हर मुमकिन चेष्टा करूंगा। इसमें सफल होने पर चाहें तो उसका पूरा-पूरा श्रेय लें, मुझे बिल्कुल श्रेय नहीं, केंद्रीय विद्यालय चाहिए।वह चाहें तो मैं राज्य सरकार के समक्ष आवेदन देता हूं, वह जिले के विकास के प्रयत्न में साथ दें। अगर जमीन की समस्या हो तो चकाई विधानसभा क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय खुलवाने को सभी पक्ष राजी हो तो सरकार के पास भूमि उपलब्ध न होने की स्थिति में मैं खुद एक-एक लोग के घर जाकर इसके लिए आवश्यक भूदान करने को उन सबसे करबद्ध आग्रह करूंगा। आवश्यक न्यूनतम पांच एकड़ अथवा, अधिकतम दस एकड़ भूमि उपलब्ध करवा दूंगा। विकास को प्राथमिकता दें, विवाद को नहीं।उपलब्धि का यश पूरा-पूरा ले लें, मुझे तो कोई हर्ज़ नहीं है।

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