राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि भारतीय शिक्षित समाज, लोकतांत्रिक व्यवस्था और समतामूलक समन्वयकारी सोच को विकसित करने में बिहार ने सदा महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है तथा यहां ज्ञान, कर्म और नीति की सुदीर्घ परम्परा बिहार में रही है।


श्री टंडन ने तारामंडल में ‘संस्कृति से संवाद श्रृंखला’ के 10वें संस्करण के रूप में संस्कृत, हिन्दी एवं प्राकृत-पालि के प्रकांड विद्वान आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव के सम्मान में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार की धरती के सपूतों का भारतीय संस्कृति, कला, भाषा और साहित्य की दुनिया को कई अनुपम अवदान रहे हैं। भारतीय शिक्षित समाज, लोकतांत्रिक व्यवस्था और समतामूलक समन्वयकारी सोच को विकसित करने में बिहार ने सदा महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। ज्ञान, कर्म और नीति की सुदीर्घ परम्परा बिहार में रही है।

राज्यपाल ने कहा कि बिहार में कौटिल्य, चंद्रगुप्त, याज्ञवल्क्य, मंडन मिश्र एवं भारती मिश्र सहित अनेक विद्वान दार्शनिकों एवं तत्वचिंतकों की सुदीर्घ परम्परा रही है। उन्होंने कहा कि विक्रमशिला एवं प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों से विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते थे। ज्ञान, कर्म, कला और संस्कृति के क्षेत्र में बिहार का अमूल्य योगदान रहा है।

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