नौकरशाहों को मनचाहे तबादले की यह आपबीती सुनिये. पहले जिस ट्रांस्फर के लिए एक लाख रुपये लगते थे अब उसका रेट 20 लाख हो चुका है. सनद रहे कि यह लेखक का  विचार है नौकरशाही डॉट इन का नही.bureaucracy-cartoon

हिमांशु नारायण

घटना 15- साल से पहले की है I वर्ष मुझे याद है लेकिन जान बूझकर लिख नहीं रहा हूँ ताकि सम्बंधित पदाधिकारियों वो अन्य की पहचान छुपी रहे I मेरे एक ममेरे भाई अनुमंडल पदाधिकारी के पद पर नियुक्त होने की योग्यता रखते थे लेकिन पैरवी के अभाव में ट्रांसफर हो नहीं पा रहा था I मुझसे मिलकर अपनी व्यथा बताई, यह कहते हुए कि तुम्हारी राजनीतिक और प्रशासनिक अच्छी पहुँच है तो तुम मेरा ये काम करवा दो I

मैंने की पैरवी

मैं उन्हें लेकर तत्कालीन सेक्रेटरी, कार्मिक विभाग, बिहार के पास गया और उनसे इनके पोस्टिंग की पैरवी की I सचिव महोदय से मेरे अच्छे सम्बन्ध थे तो उन्होंने सही बात हमें बताई…. ट्रांसफर पोस्टिंग करना यूँ तो हमारे विभाग का ही काम है लेकिन सच्चाई ये है कि महत्वपूर्ण पदों पर राजनीतिक आदेश के बगैर ये काम हो नहीं सकता तो तुम ऐसा करो कि किसी मंत्री वगैरह से अनुशंसात्मक पत्र मुझे भिजवा दो I

मेरे लिए यह काम बड़ा ही आसान था तो दूसरे ही दिन मैंने एक महिला कैबिनेट मंत्री का पत्र उन्हें भिजवा दिया कि “अमुक पदाधिकारी को मैं व्यक्तिगत तौर पर जानती हूँ, ये एक बहुत ही योग्य अधिकारी है, आप कृपया इनका स्थांतरण हमारे क्षेत्र के अमुक अनुमंडल में कर दें” I पत्र भिजवाकर मैं निश्चिन्त हो गया कि जल्द ही काम हो जायेगा I लेकिन लीजिये, चार छह दिनों बाद ही पता चला कि उन्हीं मंत्री का एक और अनुशंसात्मक पत्र किसी और पदाधिकारी के नाम का दूसरे ही दिन कार्मिक सचिव को आ गया था तो पहली वाली अनुशंसा बेकार हो गयी थी I बहुत बुरा लगा लेकिन कर भी क्या सकता था……. मन मसोस कर रह गया I

अपने भाई को बोलो काम हो जायेगा

उसी दिन शाम में एक अन्य मंत्री से मिला I मिल कर उनसे ढेर सारी बातें हुईं I चाय पानी का दौर समाप्त होने तक मैंने पूरी कहानी बताई और यह भी कहा कि उन महिला मंत्री को अगर किसी और की ही पैरवी करनी थी तो मुझे मना कर देना था I पूरी बातें सुनकर गंभीर हो गए….. बोले गलती उनकी और तुम्हारी, दोनों की है….. ऐसा करो, अपने भाई को बोलो कि कल अमुक समय में मुझसे मिले, तुम्हारे आने की आवश्यकता नहीं है…… काम हो जायेगा I

मैंने अपने भाई को यह सन्देश दे दिया और वो निश्चित समय पर मंत्री महोदय से मिल भी आये I बाद में मेरे पूछने पर भाई ने बताया कि मंत्री महोदय ने आश्वासन दिया है, काम होने का I दो दिनों बाद ही कार्मिक सचिव महोदय ने फोन करके मुझे सूचना दी कि तुम्हारे भाई का पदस्थापन अनुमंडलाधिकारी के रूप में खास जगह पर हो गया है, कल तक आर्डर निकल जायेगा, उन्हें बता दो I

मंत्री को मेरे भाई ने दिये 50 हजार

ट्रांसफर आर्डर निकला, भाई ने ज्वाइन किया और लम्बे समय तक वहां पदस्थापित रहेI बहुत समय बाद बात ही बात में मुझे बताया था कि मंत्री महोदय ने कुल पचास हजार का नजराना लिया था, इस सामाजिक कार्य के लिए I

संयोगवश आज प्रातः एक सज्जन से भेंट हुई जो स्वयं प्रशासनिक पदाधिकारी हैं और एक प्रतिष्ठित शहर में सदर अनुमंडलाधिकारी के पद पर रह चुके हैं I बात ही बात में मुझसे उस कहानी को सुनकर कहा कि…… आपकी पैरवी की वजह से आपके भाई सस्ते में ही छूट गए थे वरना उस समय तो एक लाख का रेट था जो अभी बीस से पच्चीस लाख तक चल रहा है और हाँ, पहले पैसा देने पर यह पक्का रहता था कि कम से कम दो से तीन वर्ष रहने दिया जायेगा जो अब पक्का नहीं रह गया है I उदाहरण के तौर पर बताया कि पिछले साल एक जेल अधीक्षक की नियुक्ति एक केंद्रीय कारा में तेइस लाख लेकर की गयी थी और मात्र आठ महीने के बाद ही किसी और की पदस्थापना उसी पद पर उनसे भी ज्यादा रकम लेकर कर दी गयी I

हिमांशु नारायण के फेसबुक वॉल से.

 

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