जमात ए इस्लामी का देश्वयापी जागरूकता अभियान

तलाक पर संघ द्वारा घड़ियाली आंसू बहाना और मीडिया द्वारा तूफान मचाना मुसलमानों के लिए वरदान साबित हुआ है. एक ऐसा वरदान जिसने कल तक विभिन्न मसलकों में आपसी सरफुटौवल और विवादों को दफ्न कर एक मंच पर आने का रास्ता बता दिया है.

जमात ए इस्लामी का देश्वयापी जागरूकता अभियान

 

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

रविवार को पटना का इस्लामिया हॉल इस ऐतिहासक एका का गवाह बना. जमायत ए इस्लामी हिंद की पहल पर अहले हदीस, अहले सुन्नत, देवबंदी और ना जाने कितने मसलकों में बंटे मुसलमान आज इस तूफान में एक किश्ती पर सवार हो कर अपने ऊपर संभावित खतरे से मुकाबला करने को तैयार हैं.

 

हालांकि विभिन्न मसलकों की ऐसी एकता पहले भी समय-समय पर सामने आती रही है लेकिन इस बार की एकता परिपक्वता और दूरदृष्ट पर आधारित रणनिति के तहत है. इस बार की एकता पहले की एकता से इसलिए भी अलग है कि इस बार विरोधियों के हमले का जवाब, हमले से देने के बजाये तथ्यों, आंकड़ों और संतुलित शब्दों से देने की तैयारी है. दूसरी तरफ तलाक व मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुद्दे पर देशव्यापी जागरूकता आंदोलन का संचार हुआ है. गांव खलिहानों से ले कर कसबों और शहरी मुहल्लों में मुसलमानों के अंदर ऐसी चेतना का संचार हुआ है जो एक मिसाल है. बांग्लाभाषी राज्य बंगाल से ले कर नेपाल की सरहदों से लगे बिहार व उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब तक और दक्षिण में केरल से ले पश्चिम भारत तक जागरूकता का यह अभियान अपने चरम पर पहुंच गया है. पिछले दो तीन महीनों में मुस्लिम सामाजिक संगठनों ने आंकड़ों से अपने लोगों को यह समझाने में सफल रहे हैं कि तलाक की समस्या से ज्यादा विकराल हिंदू मैरेज सेपरेशन की समस्या है. अदालतों में हिंदुओं के विवाह और सेपरेशन से जुड़े मामले, तलाक से तीन सौ गुणा ज्यादा दर्ज हैं. इसी तरह जणगणना और दीगर रिपोर्टों के आधार पर मुस्लिम संगठन आम लोगों को यह बताने में सफल रहे हैं कि मुसलमानों से 20 गुणा ज्यादा विवाह सेपरेशन की घटनायें सामने आती हैं.

तलाक की समस्या से ज्यादा विकराल हिंदू मैरेज सेपरेशन की समस्या है. अदालतों में हिंदुओं के विवाह और सेपरेशन से जुड़े मामले, तलाक से तीन सौ गुणा ज्यादा दर्ज हैं. इसी तरह जणगणना और दीगर रिपोर्टों के आधार पर मुस्लिम संगठन आम लोगों को यह बताने में सफल रहे हैं कि मुसलमानों से 20 गुणा ज्यादा विवाह सेपरेशन की घटनायें सामने आती हैं.

 

इस आयोजन में इंडिया टुडे और दैनिक जागरण की रिपोर्टों के हवाले से यह भी बताने की कोशिश की गयी कि हिंदू महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा, मुस्लिम महिलाओं से कही ज्यादा हैं. ये आंकड़े, ये तथ्य भाजपा और संघ के नीतिकारों की नींद हराम कर देने वाले हैं. लेकिन इन बातों की चर्चा मेनस्ट्रीम मीडिया में नहीं होती. जमात ए इस्लामी और दीगर संगठनों के नीतिकार इन तथ्यों के अभी और पहलुओं को खंगालने में लगे हैं. इन नीतिकारों का दावा है कि मुस्लिम समाज में तलाक तो विवादों का अंतिम हल है, जिसकी जरूरत हजारों में एक को पड़ती है. पटना के ओरियेंटल कालेज के प्रिंसिपल शकील कासमी ने तथ्यात्मक तस्वीर पेश करते कहा कि हिंदू मैरेज एक्ट में विवाह विच्छेद की कल्पना ना होने के कारण हिंदू महिलाओं में घुट-घुट कर मररने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जबकि संघ और भाजपा के लोग हिंदू मैरेज एक्ट पर बात करने के बजाये मुसलमानों को ले कर घड़ियाली आंसू बहाने में लगे हैं ताकि असल समस्या से लोगों को दूर रखा जा सके.

लाजवाब जागरूकता

जमाए इस्लामी के जागरूकता अभियान की यह सफलता है कि इस संगठन के अमीर मौलाना जलालुद्दीन उमरी  और उनके संगठन के दीगर सहयोगियों ने अन्य मसलकों के रहनुमाओं को एक मंच पर ला खड़ा कर दिया. इसमें इमारत शरिया, इमारत अहले हदीस, पटना के मीतन घाट खांकाह के शमीम मुनैमी, एदारा शरिया के शनाउल्लाह कादिरी व जमीअतुल उलेमाये हिंद के हुस्न अहमद कादिरी सरीखे उलेमा ने साफ लफ्जों में मुसलमानों के विभिन्न मसलकों की इस एकता पर संतोष व्यक्त किया. एक वक्ता ने तो आरएसएस और भाजपा का शुक्रिया तक अदा किया कि उन संगठनों ने मुस्लिम रहनुमाओं और आम लोगों को एक प्लेटफार्म पर ला खड़ा कर दिया.

By Editor