उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव के इस्‍तीफे को लेकर बिहार का मीडिया बेहाल है। इस्‍तीफे के कारण और परिणाम गिनाये जा रहे हैं। विधायकों की संख्‍या और उनकी जाति की गिनती हो रही है। सत्‍तारूढ़ जदयू ने सिर्फ सहयोगी पार्टी को आरोपों को लेकर तथ्‍य रखने का सुझाव दिया है। अभी तक जदयू के किसी नेता ने इस्‍तीफे की मांग नहीं की है। हालांकि मीडिया के ‘चित्‍कार’ के बाद राजद ने जरूर स्‍पष्‍ट किया है कि उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव इस्‍तीफा नहीं देंगे।

वीरेंद्र यादव

सीबीआई का छापा और जदयू की बैठक के बाद से मीडिया एक सुर से मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की छवि और सुशासन का ‘यशोगान’ कर रहा है। ‘छवि व इमेज’ के कसीदे गढ़े जा रहे हैं। उधर भाजपा अपने विपक्षी होने का दायित्‍व का निर्वाह कर रही है। मीडिया को लेकर तेजस्‍वी यादव की ‘धारणा व व्‍यवहार’ की भी खूब चर्चा हो रही है। लेकिन दूसरा पक्ष यह है कि इस विवाद में तेजस्‍वी यादव ज्‍यादा मुखर होकर उभरे हैं। मीडिया को लेकर उनका व्‍यवहार भी ज्‍यादा आक्रामक और नकारात्‍मक हो गया है।
बिहार का मीडिया फिलहाल तेजस्‍वी के इस्‍तीफे को लेकर बेचैन है। 11 जुलाई को जदयू की बैठक के दिन सीएम आवास के बाहर खड़ा मीडिया का कारवां तेजस्‍वी के इस्‍तीफे से जुड़ी खबर का इंतजार कर रहा था। लेकिन इस्‍तीफे की कहीं चर्चा तक नहीं हुई। नीतीश की चुप्‍पी से भी मीडिया परेशान है। जदयू के अन्‍य नेताओं की न टीआरपी है और न उनकी पठनीयता। भाजपा की रटी-रटायी प्रेस विज्ञप्ति और बयान में कोई दम नहीं रह गया है। वैसी स्थिति में तेजस्‍वी के इस्‍तीफे से जुड़ी चर्चा, बहस और बयान ही मीडिया बाजार का ‘बिकाऊ’ माल बच गया है। वैसे में मीडिया की विवशता को भी आसानी से समझा जा सकता है।

By Editor