सत्ता प्राप्ति के बाद संघ के कट्टरपंथी विचारों को बढ़ाना तो एक बानगी है, जीवनरक्षक दवाओं के मूल्य में 12 गुना इजाफा करके कार्पोरेट हितों की  रखवाली करती मोदी सरकार के कुछ फैक्चुअल नमूने आप भी जान लेंmodi-madison-square-highlights-650

फरह शाकेब

अच्छे दिन और गुड गवर्नेंस के नारों के साथ लोकसभा चुनाव  के बाद सत्तासीन होने वाली बीजेपी सरकार ने शपथ लेते ही  पूर्व ही तैयार कर ली गयी संघ + कॉर्पोरेट की संयुक्त रणनीति के तहत सबका साथ सबका विकास का आवरण ओढ़ कर कट्टरपंथियों का साथ और कॉर्पोरेट एवं संघ का विकास के रास्ते पर चल पड़ी है
एक तरफ अपराधिक छवि के कटटर भगवावादी आक्रामक तरीके से लव जेहाद, घर वापसी, हिन्दू राष्ट्र, चार पांच बच्चे, राम मंदिर जैसे विद्ध्वंसक मुद्दों पर सरकारी संरक्षण में संघ के वैचारिक एजेंडे को लागू करने की रूप रेखा तैयार कर रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार कॉर्पोरेट हितों को ध्यान में रखते हुए अपने हर फैसले से आम जनता की उमीदों को खंडहर में परिवर्तित करती चली जा रही है.

मीडिया या सरकारी प्रवक्ता

इन सबके बीच सामंती मिडिया वर्तमान सरकार के प्रवक्ता की भूमिका में स्वयं अपनी कीमत लगाये अपने नैतिक दायित्वों का अपने ही हाथों  निस्त नाबूद कर रहा है.


कोयला खदानें अडानी के सुपुर्द किये जाने स्वास्थ्य बजट में 20 प्रतिशत कटौती कृषि बजट में 30 प्रतिशत कटौती बीमा क्षेत्र में अध्यादेश द्वारा एफडीआई यानी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को मंजूरी, भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जैसी जनविरोधी  काम ही इस सरकार के केवल आठ महीनों का कारनामा है.लेकिन मिडिया ऐसी तमाम खबरों पर पर्दा डालते हुए या तो साम्प्रदायिकता और धार्मिक द्वेष पर आधारित खबरों पर चीख पुकार मचा रहा है या प्रधानमंत्री यात्राएं और अंतराष्ट्रीय स्तर पर मोदी जी के फ़र्ज़ी जादू का ढिंढोरा पीट रहा है.
कभी कभी किसी मिडिया हाउस से कुछ खबरें छन कर बाहर आ जाती हैं जो अधिकांश भारतीय जनता का ध्यान आकर्षित कर पाने में नाकाम हैं.मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले 26 सितंबर को ऐसी ही के खबर एक मिडिया हाउस के टेबल से निकल कर बाहर आई थी कि मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद देश में दवाओं की कीमत में भारी उछाल आ सकता है जो बिलकुल सच साबित हुई.

नाश्ते के टेबल का सच
29 सितमबर को सुबह के नाश्ते की टेबल पर मोदी के साथ कई बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के सी ई ओ को दिखाते हुए भारतीय मिडिया के अधिकांश चैनलों ने ये प्रभाव देने का प्रयास किया था की कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कर्ताधर्ता मोदी जी के मुरीद हो चुके हैं जबकि वास्तविकता इससे बिलकुल अलग है.

नाश्ते के टेबल का सच से अवगत कराने से पहले आपको ये बताना आवश्यक है कि मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले एनपीपीए राष्ट्रिय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण ने 108 दवाओं को ज़रूरी दवाओं की सूचि से निकाल दिया है यानी अब उन दवाओं का मूल्य कंपनियां अपनी मर्ज़ी से तय कर सकती हैं.

नाश्ते के टेबल पर मोदी जी के साथ वहाँ बैठे तीन कंपनी और उनके सीईओज से आपका परिचय करवाता चलूँ कि उनमें से एक थे मिस्टर केनिथ सी फ़्रेज़र जो मर्क एंड कम्पनी के सीईओ हैं और भारत में उनकी कम्पनी आर्बिटिक्स के नाम से कैंसर की दवा बेचती है.


दुसरे थे मिस्टर जॉन सी स्टेले जो होस्पिरा फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइस के सीईओ हैं और उनकी कम्पनी भारत में कैडिला के साथ सइराटोक्सिक नाम की कैंसर की दवा बनती है और उसी नाश्ते के टेबल पर डेविड सी मैक्लेनन जो करगिल फ़ूड हेल्थ एंड कम्पनी के कर्ताधर्ता हैं जिनकी कम्पनी भारत में एक बार विवादित हो चुकी है.
12 गुना तक बढ़ी दवा की कीमत

मुलाक़ात के बहाने एक छुपा हुआ सन्देश अच्छे दिनों की आड़ में पूंजीपतियों के हितों का पूरा पूरा ख्याल रखती है व्यापरी की सरकार जिनके खून में व्यापार है और मोदी के अमेरिका दौरे से वापसी बाद उस सन्देश को अमलीजामा पहनाते हुए बहुत आवश्यक जीवनरक्षक उन दवा की कीमतों को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया गया है उसके लिए भी इन आंकड़ों पर एक नज़र डालिये
कैंसर की दवा गलेविक जो पहले 8.500 की थी अभी इस समय 1 लाख 8 हज़ार की मिल रही है
कैन्सर की दूसरी दवा गेफ्टिंनेट 5 हज़ार 9 सौ की जगह अभी 11 हज़ार 500 के मूल्य पर उपलब्ध है.

ब्लडप्रेशर की दवा कार्डेक 92 रूपये की थी अभी इस समय 128 रूपये की हो गयी . ब्लडप्रेशर की ही दवा पर्लेविक्स 147 रुपयों से 165 रूपये तक पहुँच गयी.एंटी बायोटिक्स मोक्सिकोक्स 250 रूपये से 399 रूपये टैरिबिड 34 रूपये के बजाए 173 रूपये तक मिलती है.कोलेस्ट्रोल की दवा स्ट्रेवोस 62 रुपयों से आगे हो कर 97 रूपये की हो गयी है .
नाश्ते के टेबल पर दरअसल मोदी उन कंपनी के मालिकों और कर्ताधर्ताओं को इसके बाद यही विश्वास दे कर आये थे की भारत सरकार आपके हितों और फायदों का ख्याल रखने के लिए दृढ़संकल्पित है.

सबसे अफसोसनाक पहलू ये है मीडिया ने इस सच्चाई से अवगत करवाने की कोई ज़रूरत महसूस नहीं की क्यूंकि उन्हें सीधा सीधा धन्नासेठों के पैसों और हितों का ख्याल है.

By Editor