आलोक वर्मा ने  दिल्ली के नये पुलिस आयुक्त का पदभार संभाल लिया है. पर सवाल है कि बीएस बस्सी ने अपने नाकारेपन से जो दाग दिल्ली पुलिस के दामन पर लगाये हैं उसे आलोक वर्मा कैसे साफ करेंगे?

बस्सी बायें, आलोक दायें
बस्सी बायें, आलोक दायें

नौकरशाही न्यूज 

आलोक ने पदभार संभालने के बाद वही पारम्परिक बात कही जो अकसर पुलिस के हाकिम कहते हैं- ‘कानून व्यवस्था बनाये रखना और महिलाओं व बुजुर्गों की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है’. लेकिन दर असल उन्हें जो कहना चाहिए था वह यह कि उनकी पहली प्राथमिकता  दिल्ली पुलिस के प्रति लोगों में विश्वास कायम करना होगी. सच मानें तो आलोक वर्मा के लिए, बीएस बस्सी द्वारा पुलिस की विश्वसनीयता निचले स्तर तक पहुंचा देने के बाद यही सबसे बड़ी चुनौती है.

खास कर तब जब जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी और उनके ऊपर देशद्रोह का मामला दर्ज करने के बाद दिल्ली पुलिस आम जन तो छोड़िये अदालत के भी निशाने पर है. अदालत ने देशद्रोह का मामला दर्ज करने पर बीएसबस्सी को खरी खोटी सुनाई थी और पूछा था कि क्या वह देश द्रोह की परिभाषा जानते भी हैं. इतना ही नहीं अभी तक अदालत के समक्ष दिल्ली पुलिस ने ऐसे सुबूत नहीं पेश कर सकी है जिससे यह अदालत को लगे कि उसकी शिकायत में दम है.

भारी फजीहत

कन्हैया को 12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद देश भर में भारी बवाल हुआ था. इतना ही नहीं उन्हें अदालत में पेशी के दौरान पुलिस की मौजूदगी में बुरी तरह से पीटा गया था. पुलिस निकम्मी बन कर देखती रही. इससे पहले ऊपरी अदालत ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था. इसके बावजूद दिल्ली पुलिस ने जिस निकम्मेपन का परिचय दिया उसे देश ने देखा. काले कोट पहन कर वकीलों के गिरोह ने न सिर्फ कन्हैया बल्कि कई पत्रकारों पर भी हमला कर दिया था.

जानिये दिल्ली पुलिस के नये कमिशनर आलोक वर्मा को

आसान नहीं राह

अदालत और देश के सामने दिल्ली पुलिस ने अपने तत्कालीन प्रमुख बीएस बस्सी के नेतृत्व में अपनी विश्वसनीयता तो खो ही चुकी है. इतना ही नहीं उसकी जांच का औचित्य भी कटघरे में है. अदालत ने बस्सी से यहां तक पूछा था कि क्या पुलिस टेलिविजन चैनल के फुटेज पर विश्वास करेगी. जेएन यू में 9 फरवरी को कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाये गये थे. पुलिस तब खामोश थी. उसकी खामोशी 12 फरवरी को टूटी. वो भी तब जब जी न्यूज ने एक भीड की रिकार्डिंग दिखायी जिस में भारत विरोधी नारे लगाये जा रहे थे. पुलिस ने इतना भी नहीं किया कि उस फुटेज की प्रमाणिकता को जांचे. हालांकि जी न्यूज के इस फुटेज पर उसका काफी छीछा लेदर हो चुका था. बाद में यह बात सामने आयी थी कि जी न्यूज ने उस फुटेज को एडिट कर दिखा था.  दिल्ली पुलिस ने इस मामले में ऐक खास पार्टी के पक्ष में खड़े हो कर काम कने का आचरण पेश किया था.

अब जबकि आलोक वर्मा दिल्ली के नये पुलिस कमिशनर की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं अब उनके सामने सबसे पहली जिम्मेदारी यह है कि बीएस बस्सी के नाकारेपन से लगे दाग को धोयें और दिल्ली पुलिस की विश्वसनीयता को बचायें.

By Editor