उच्चतम न्यायालय के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि भारत की न्यायपालिका दुनिया की सबसे मजबूत न्यायपालिका है, क्योंकि इसमें असंख्य लंबित मामलों का बोझ ढोने का माद्दा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से न्यायालय परिसर में आयोजित विदाई समारोह में न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि समता के साथ न्याय अर्थात् ‘जस्टिस विद इक्विटी’ तब सार्थक होगा, जब देश के सुदूर इलाके में हर व्यक्ति को न्याय मिलेगा। 

उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायपालिका पूरी दुनिया में सबसे मजबूत है। यहां लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखा जाता है और यह सब न्यायाधीशों की वजह से ही संभव है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्तरों पर हमलों के बावजूद भारतीय न्यायपालिका मजबूती से खड़ी है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्याय का मानवीय चेहरा और मानवीय मूल्य भी होना चाहिए। उन्होंने कहा, “इंसाफ का चेहरा एवं रवैया मानवीय होना चाहिए। न्याय के दोनों पलड़ों में संतुलन होना चाहिए। आंसू मोती हैं। मैं उन्हें इंसाफ के दामन में समेटना चाहता हूं। अमीर और गरीब के आंसू अलग-अलग नहीं होते हैं।”

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “मैं लोगों को इतिहास से नहीं, बल्कि उनकी गतिविधियों और परिप्रेक्ष्य से जज करता हूं।” इससे पहले उन्होंने कहा, “मैं कहना चाहता हूं कि मुझे बोलने की अनुमति दीजिए, जिससे मैं अपने तरीके से बोल सकूं।” निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह बार एसोसिएशन के कर्जदार हैं और वह यहां से पूरी संतुष्टि के साथ विदा ले रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सोसायटी बच्चे की दूसरी मां होती है। उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम की भी तारीफ की और कहा कि इससे सुप्रीम कोर्ट ‘सुप्रीम’ बना हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि सच्चाई का कोई रंग नहीं होता। इस अवसर पर अगले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने न्यायमूर्ति मिश्रा के दृष्टिकोण एवं उनके फैसले की तारीफ भी की।

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