राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए देश में एक साथ चुनाव कराने पर राजनीतिक आम सहमति बनाने की जरूरत बतायी है और कहा है कि सरकार अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के बजाय सशक्तिकरण के काम तथा सामाजिक न्याय एवं आर्थिक लोकतंत्र को मजबूत करने में जुटी है। 
 

राष्ट्रपति ने बजट सत्र की शुरूआत पर संसद के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने पहले अभिभाषण में कहा कि सरकार जन भागीदारी से जन कल्याण करने में लगी है और ऐसी व्यवस्था बना रही है, जिससे समाज की आखिरी पंक्ति में खड़ा व्यक्ति भी लाभान्वित हो। इस संबंध में उन्होंने भ्रष्टाचार मिटाने, गरीबी और बेरोजगारी दूर करने, महिलाओं को आगे बढाने तथा किसानों की बेहतरी के लिए उठाये गये कदमों की चर्चा की।

 

श्री कोविंद ने कहा कि लोगों में देश में किसी न किसी हिस्से में लगातार चुनाव होने से विकास बाधित होने तथा अन्य विपरीत प्रभावों को लेकर चिंता है। इससे मानव संसाधन पर तो बोझ बढता ही है चुनाव आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य भी बाधित होते हैं। इसलिए संसद तथा विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराये जाने पर चर्चा और संवाद बढाया जाना चाहिए तथा इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनायी जानी चाहिए।

अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए उठाये गये कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के बजाय उनके सशक्तिकरण का काम किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि तुष्टीकरण नहीं सशक्तिकरण के संकल्प के साथ सरकार अल्पसंख्यकों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सशक्तीकरण की दिशा में मजबूती से काम कर रही है।  अल्पसंख्यक महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में भी सरकार कई कदम उठा रही है। मुस्लिम महिलाओं के अकेले हज पर जाने की पाबंदी हटा दी गयी है और अब 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं पुरूष रिश्तेदारों के बिना हज पर जा सकती हैं।
विवाहित मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित तीन तलाक विधेयक के संसद में जल्द पारित होने की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं का सम्मान वर्षों तक राजनीतिक नफा-नुकसान का बंधक रहा है । अब देश को उन्हें इस इस स्थिति से मुक्ति दिलाने का अवसर मिला है। सरकार द्वारा पेश तीन तलाक विधेयक के कानून बनने के बाद मुस्लिम बहन-बेटियां भी आत्म-सम्मान के साथ भयमुक्त जीवन जी सकेंगी।

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