बिहार में स्वच्छ ऊर्जा के विकास और राज्य की नई वैकल्पिक ऊर्जा नीति 2017 का स्वागत करने के लिए सेन्टर फॉर इन्वायरमेन्ट एण्ड एनर्जी डेवलपमेन्ट (सीड) ने पटना में एक राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया। परिसंवाद का विषय था “बिहार में वैकल्पिक ऊर्जा: अवसर और संभावनाएं।” (री-पावरिंग बिहार-इनर्जाइजिंग एक्सेस एण्ड अपार्चुनिटीज)। परिसंवाद में बिहार की नई वैकल्पिक ऊर्जा नीति “बिहार पॉलिसी फॉर प्रमोशन आफ न्यू एण्ड रिनिवेबल एनर्जी 2017” के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की गयी। परिसंवाद का उद्घाटन बिहार के माननीय वित्त मंत्री श्री उब्दुल बारी सिद्दीकी ने किया। इस अवसर पर बिहार राज्य के बिजली विभाग के प्रधान सचिव श्री प्रत्यय अमृत, ब्रेडा के निदेशक श्री आर. लक्ष्मणन और आद्री के सदस्य सचिव श्री शैबाल गुप्ता उपस्थित थे। 

 

नौकरशाही डेस्‍क

परिसंवाद में बोलते हुए सीड के सीईओ श्री रमापति कुमार ने कहा कि “बिहार की नई वैकल्पिक ऊर्जा नीति 2017 निवेश के नये अवसर पैदा करेगी जो लंबे समय के लिए राज्य में सुख समृद्धि का रास्ता खोलेंगे। उन्होंने कहा कि “इक्कीसवीं सदी में नये और वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में जो विकास हो रहा है उसका लाभ लेने से बिहार अछूता नहीं रह सकता है। हम सबको इस दिशा में मिलकर काम करना है ताकि बिहारऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो सके।” उन्होंने जोर देकर कहा कि “नई नीति से राज्य में 20 हजार करोड़ रूपये के निवेश का रास्ता खुल रहा है जो बिहार के विकास और स्थानीय स्तर पर रोजगार देने में बहुत उपयोगी साबित होगा।”

परिसंवाद में वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े अति महत्वपूर्ण और विशिष्ट लोग शामिल हुए जिन्होंने माना कि राज्य सरकार की नयी नीति अपने आप में अनूठी और इकलौती है। यह नीति सर्व समावेशी और तकनीकि रूप से सहज और सरल है। इस नीति पर अमल करते हुए अगले पांच साल में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के जरिए सरकार के निर्धारित लक्ष्य 3,433 मेगावाट बिजली उत्पादन के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। निश्चित लक्ष्य और समय सीमा, सोलर रूफ टॉप पर जोर, विकेन्द्रित ऊर्जा उत्पादन और कृषि में क्रांतिकारी बदलाव के लिए वैकल्पिक ऊर्जा के इस्तेमाल जैसे लक्ष्य बताते हैं कि यह नयी नीति 2022 तक बिहार में ऊर्जा क्षेत्र के पूरे परिवेश को ही बदल देगी।

नयी वैकल्पिक ऊर्जा नीति के बारे में जानकारी देते हुए बिहार के ऊर्जा मंत्री, श्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा, “आज के दौर में हम सब ‘डी-कार्बनाइज़ेशन’ की ओर बढ़ रहे हैं। भू-मंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का दुष्प्रभाव जलवायु परिवर्तन तथा प्राकृतिक आपदाओं के रूप में दिखता है। अभी तक बिजली के क्षेत्र में कोयले के दोहन, शोषण और जलने से बिजली पैदा होतीआरही है, जिसके कईदुष्प्रभाव हैं।सरकार ने जो नई नीति बनाई है, वह बड़ी ही सार्थक, कारगर और काफ़ी प्रभावकारी है। पुरानी नीति में कई बदलाव किए गए हैंतथा नई उद्योग नीति का भी इसमें समावेश किया गया है।मैं सभी निवेशकों से अनुरोध करता हूँ कि वे बिहार आकर यहाँ अपनी पूँजी का निवेश करें तथा इस नई तकनीक, नए ज्ञान का उपयोग बिहार की उन्नति के लिए करें।”

नयी और वैकल्पिक ऊर्जा नीति घोषित होने के बाद इस बात की पूरी संभावना है कि अगले पांच सालों में राज्य में 20,000 करोड़ रूपये का पूंजी निवेश होगा। इसमें अधिकांश निवेश सोलर पैनल बनाने, वैकल्पिक ऊर्जा से जुड़े अन्य उपकरणों के निर्माण, कौशल विकास और नयी ऊर्जा के शोध और विकास पर खर्च होगा। यह नयी नीति राज्य में रोजगार और जन समृद्धि की भी अपार संभावनाएं पैदा करेगी। ऊर्जा उत्पादन के लिए सप्लाई चेन, आपरेशन, ग्रिड और आफ ग्रिड सौर उर्जा तथा विकेन्द्रित ऊर्जा परियोजनाएं नये रोजगार के विशेष क्षेत्र होंगे।

दिन भर चले परिसंवाद में दो तकनीकि सत्र भी थे। इन दो सत्रों में पहला सत्र था कि कैसे राज्य में नये और वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के अवसर बढ़ाये जाएं। इस सत्र के मुख्य वक्ता थे बिहार रूरल लाइवलिहुड प्रमोशन सोसायटी (जीविका) के सीईओ श्री डी बालामुरुगन, वाईस के डीजी श्री जीएम पिल्लई, बिहार इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री राम लाल खेतान, रिन्यू पॉवर के उपाध्यक्ष श्री प्रभात मिश्रा और वरिष्ठ पत्रकार श्री नलिन वर्मा। दूसरा सत्र मिनी ग्रिड पर केन्द्रित था। इस सत्र में यह विचार विमर्श किया गया कि कैसे ऊर्जा के क्षेत्र में मिनी ग्रिड प्रणाली की संभावनाओं को बढ़ाते हुए इसका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस सत्र के मुख्य वक्ता थे बिहार इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (बीईआरसी) के श्री राजीव अमित, शक्ति सस्टेनबल इनर्जी फाउण्डेशन के सदस्य श्री दीपक गुप्ता, स्मार्ट पॉवर इंडिया के श्री जयदीप मुखर्जी और हस्क के श्री मनोज सिन्हा।

इस अवसर पर एडीआरआई के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने कहा कि “वैकल्पिक ऊर्जा वक्त की जरूरत है और यह बिहार के लिए एक गेम चेन्जर की भूमिका अदा करेगा। राज्य की जरूरतों को देखते हुए सरकार ने यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।” उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि “मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि यह नयी नीति राज्य के सामाजिक और पर्यावरणीय ताने बाने को बिना कोई नुकसान पहुंचाए सबकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकेगी।”

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