युवा-पीढी में साहित्य के प्रति अभिरुचि बढाने तथा रुचि-संपन्न उत्साही छात्र-छात्राओं में काव्य-सृजन का संस्कार डालने के उद्देश्य से बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से प्रशिक्षण-कार्यशालाओं के आयोजन किये जा रहे हैं।

इसी कड़ी में आगामी 22 मई को सम्मेलन सभागार में पूर्ण-दिवसीय ‘काव्य-कार्यशाला’ का आयोजन किया जा रहा है। विगत 30 अप्रैल को संपन्न सम्मेलन की कार्यकारिणी की बैठक में इस आशय का एक प्रस्ताव भी पारित किया गया।

यह जानकारी देते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने बताया है कि, उक्त कार्यशाला में काव्य-सृजन के सभी अंगों पर विद्वान आचार्यों द्वारा कक्षाएं ली जाएंगी तथा प्रतिभागियों को छंद, मात्राओं, अलंकारों सहित कविता के गठन और उसके विविध रूप-स्वरूप की भी जानकारी दी जायेगी। दो सत्रों में संपन्न होने वाली इस कार्यशाला में कुल 12 कक्षाएं ली जाएंगी। इस हेतु एक पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है। प्रतिभागियों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गयी है। प्रतिभागिता हेतु पंजीयन आरंभ किया जा चुका है। प्रवेश के लिए कोई आयु-सीमा निर्धारित नही है।

कार्यसमिति की बैठक में काव्य-कार्यशाला के साथ-साथ ‘कथा-कार्यशाला’ और ‘साहित्यालोचन-कार्यशाला’ के भी संचालन का निर्णय लिया गया। सम्मेलन अध्यक्ष डा सुलभ की अध्यक्षता में संपन्न हुई इस बैठक में। सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त, पं शिवदत्त मिश्र, डा शंकर प्रसाद, डा नागेन्द्र प्रसाद मोहिनी, डा मेहता नगेन्द्र सिंह, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, राज कुमार प्रेमी, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, डा विनय कुमार विष्णूपुरी, डा अमरनाथ प्रसाद, श्याम बिहारी प्रभाकर, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, घमण्डी राम, जगदीश प्रसाद राय आदि सदस्य उपस्थित थे।

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