आईपीएस शिवदीप लांडे भले ही पटना के दोबारा सिटी एसपी बन गये हों पर इस बार  वह अपने समकक्षों को देख हीन भावना से ग्रस्त  होंगे. आखिर क्यों होंगे वह हीन भावना से ग्रस्त?

युवाओं में लोकप्रिय रहे हैं लांडे फोटो टाइम्स ऑफ इंडिया
युवाओं में लोकप्रिय रहे हैं लांडे फोटो टाइम्स ऑफ इंडिया

विनायक विजेता

 लांडे के पदस्थापन में सरकार ने कड़े आईपीएस शिवदीप लांडे के साथ न्याय नहीं किया है। 2006 बैच के आईपीएस शिवदीप वामन लांडे के समकक्ष और उनसे जूनियर आईपीएस जहां एसएसपी और एसएसपी के पद पर पदस्थापित हैं वहीं सीनियर स्केल पाए जाने वाले लांडे को फिर से सिटी एसपी के पद पर ही पदस्थापित किया गया है।

लांडे से एक साल जूनियर 2007 बैच के आईपीएस रणजीत कुमार मिश्रा जहां मुजफ्फरपुर के एसएसपी हैं वहीं इसी बैच के विवेक कुमार भागलपुर के एसएसपी बन चुके हैं. इतना ही नहीं उनसे दो साल जूनियर 2008 बैच के आईपीएस उपेन्द्र कुमार शर्मा औरंगाबाद के, विकाश बर्मन सिवान के तो इसी बैच की किम खगड़िया की एसपी हैं।

इसी तरह लांडे से 3 वर्ष जूनियर 2009 बैच के सौरभ कुमार शाह बेतिया, पुष्कर आनंद कैमूर, बाबू राम समस्तीपुर तो इसी बैच के जयंतकांत बक्सर के एसपी हैं।

गौरतलब है कि सरकार ने वर्तमान में बिहार के राज्यपाल के एडीसी के पद पर तैनात लांडे को शुक्रवार को एक बार फिर से पटना का सिटी एसपी बनाए जाने की अधिसूचना जारी की।

2006 बैच के युवा आईपीएस लांडे इसके पूर्व फरवरी 2011 से नवम्बर 2011 तक पटना के सिटी एसपी रहे। 9 माह में ही उन्हें पटना से स्थानांतरित कर अररिया का एसपी बनाए जाने का पटना में विरोध भी हुआ था.

श्री लांडे पटना के बाद दूसरी बार अररिया के एसपी रहते हुए तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने कथित संत ‘निर्मल बाबा’ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इस मुकदमें के कारण निर्मल बाबा कई माह तक भूमिगत हो गए थे।

सूत्रों के अनुसार सीनियर स्केल का वेतनमान पा रहे लांडे फिर से सिटी एसपी के पद पर अपनी पदस्थापना से संतुष्ट नहीं हैं पर पटना में मिले प्रेम के कारण वह अपमान का घूट पीन को तैयार हैं।

By Editor