सिमेज कॉलेज पटना और नौकरशाही डॉट इन द्वार संयुक्त रूप से आयोजति निधबं प्रतियोगिता ‘सृजन-2’ का द्वीतीय पुरस्कार पटना हाई स्कूल, गर्दनीबाग के अमित कुमार को दिया गया है.
प्रस्तुत है ‘मोबाइल फोन और छात्र जीवन’ विषय पर अमित का निबंध
मोबाईल फोन ने इस युग में एक ऐसा प्रभाव डाल दिया जो हमारे घर परिवार को झकझो़ड़ कर रख दिया है।  इसका हमारी आयु के बच्‍चों पर  ज्‍यादा प्रभाव पड़ रहा है। मोबाइल के चक्‍कर में बच्‍चे का भविष्‍य ही खराब हो रहा है।
अमित कुमार
अमित कुमार

इसके साथ ही शिक्षा पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। मोबाइल में गेम ने मासूम बच्‍चों को भी अपनी ओर आर्कशित कर लिया है और बच्‍चे कम आयु में ही मोबाइल के दीवाने बनते जा रहे हैं। इनका मोबाइल के प्रति लगाव पर मां बाप भी सख्‍त नहीं हो रहे है जिस कारण बाल मन भटक जा रहा है। जब कि मोबाइल से पहले अनुशासन हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अगर बच्‍चे अनुशासित हों जाते और तब वह मोबाइल का प्रयोग करते तो यह बच्‍चे मोबाइल पर अश्‍लीलता की तलाश नहीं करते.

वह इससे ज्ञान प्राप्‍त करते और ज्ञान बांटने का काम करते।  माेबाइल एक साधन ही नहीं आज हमारी आवश्‍यतका बन गया है। मगर छात्र इसका प्रयोग तो अब परीक्षा में नकल करने के लिए तेजी से करने लगे है।
इसमें लगे ब्‍लू टूथ और एयर फोन हमारे साधन के लिए थे मगर अब प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने वाले छात्र इसका प्रयोग नकल करने में करने लगे है। स्‍कूल का होम वर्क भी बच्‍चे मोबाइल में लगे नेट पर तलाश कर पूरा करने का काम कर रहे है।
मोबाइल हमारी आवश्‍यता है मगर मां-बाप को चाहिए की इसके गलत प्रभाव को ध्‍यान में रख कर बच्‍चे जब तक समझदार न हो जायें इनको फोन ना दे।
अमित कुमार, पटना हाई स्कूल,
गर्दनीबाग

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