गृहसचिव आमिर सुबहानी वेतनमान के लिहाज से अब शीर्ष पायदान यानी चीफ सेक्रेटरी के लेवल पर पहुंच गये हैं. नीतीश युग के महत्वपूर्ण नौकरशाहों में से एक सुबहानी के लिए बाकी है तो बस चीफ सेक्रेटरी बनना. हालांकि इस पद पर पहुंचने में अभी कई रुकावटें भी हैं.amir.subhani

 

नौकरशाही डेस्क

सुबहानी समेत एक अन्य आईएएस अधिकारी  संजीव सिन्हा भी हैं जिन्हें डीपीसी की बैठक के बाद मुख्य सचिव स्तर के वेतनमान पर पदोन्नति देने संबंधी मुहर लग गयी है.

सुबहानी अपने बैच में यूपीएससी की परीक्षा में टाप रैकर रहे हैं. गृहसचिव जैसे प्रभावशाली व संवेदनशील पद पर लगभग 6 वर्षों तक बने रहना अपने आप में एक मिसाल है. बीच के चंद महीने जब, जीतन राम मांझी सीएम बने थे तब सुबहानी को गृहसचिव के पद से खसकाया गया था. लेकिन जैसे ही नीतीश दोबारा सत्ता में आये, सुबहानी को फिर वही जिम्मेदारी सौंप दी गयी. नीतीश कुमार का सुबहानी के प्रति भरोसा का यह एक नमूना है.

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आमिर सुबहानी की घर वापसी

जानने वालों को पता है कि आमिर सुबहानी नीतीश से उन दिनों करीब आये जब नीतीश, लालू शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे. सुबहानी की नीतीश से हुई इस कुरबत का खामयाजा भी लालू ने आमिर को दिया और उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में शरण लेना पड़ा.

यू मिला फल

लेकिन उन्हें कोई दो तीन सालों में ही बदले निजाम का फायदा मिला और आमिर नीतीश की आंखों के तारा बन गये, जैसे ही नीतीश ने  2005 के नवम्बर के आखिरी सप्ताह में सत्ता संभाली, दो महीने के अंदर यानी मार्च 2006 में आमिर पटना बुला लिये गये और कम्फेड के चेयरमैन बना दिये गये. चार महीने में तरक्की पा कर सुबहानी ज्वाइंट सेक्रेटरी लेवल पर पहुंच गये. 2008 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव के रास्ते 2009 के अक्टूबर में गृह सचिव की बागदोड़ संभाल ली. लगातार चार सालों तक यहां रहने के बाद सुबहानी तब सामान्य प्रशासन विभाग में भेजे गये.

गृह सचिव का पद न सिर्फ महत्वपूर्ण माना जाता है बल्कि लॉ एन ऑर्डर जैसे संवेदनशील मुद्दे की जिम्मेदारी भी ऐसे ही नौकरशाहों को सौंपी जाती है जो विश्वस्नीय हो. नीतीश ने तभी तो आमिर को चुना. 2010 में जब नीतीश दोबारा मुख्यमंत्री बने तो कई नौकरशाह यहां से वहां किये गये पर आमिर की इमारत तब भी कायम रही.

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