आरएसएस-भाजपा के बौद्धिक अतिवाद का जवाब देने के लिए नीतीश कुमार देश के लिबरल थिंकर्स की टीम बनाने में जुटे हैं. आकादमिक और बौद्धिक वर्ग की इस टीम के साथ दिल्ली में नीतीश ने दो बैठकें भी कर ली हैं.nitish

नौकरशाही ब्यूरो

संघमुक्त भारत अभियान के मद्देनजर जद यू ने एक खाका भी तैयार कर लिया है. इसके तहत देश भर के अनेक बड़े शहरों में कांफ्रेंसेज करने की तैयारी है. इन तमाम बैठकों में नीतीश खुद शिरकत करेंगे.

पिछले दिनों दिल्ली में हुई एक बैठक में इसकी पूरी रूपरेखा तैयार की गयी है.  माना जा रहा है कि अब तक इंटेलेक्चुअल्स की इस बैठक में जनसत्ता के पूर्व सम्पादक ओम थानवी, मशहूर कॉलम नवीस सीमा मुस्तफा, जेएनयू के अपूर्वानंद, साहित्यकार अशोक वाजपेयी व मंगलेश डबराल, विश्णु नागर सरीखे अनेक लोग शामिल हो चुके हैं.

भगवाकरण के खिलाफ रणनीति

इसी के तहत नीतीश कुमार ने बुधवार को दिल्ली के वसंतकुंज में  विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय एक लम्बी मंत्रणा भी की.

देश के शैक्षिक संस्थानों, अकादमियों, शोध संस्थानों, कला संस्कृति और साहित्य से जुड़े संस्थानों का भगवाकरण किये जाने के संघ के प्रयासों के बीच नीतीश कुमार समाजवादी सोच के बौद्धिक समुहों को एक मंच पर लाने के प्रयास में हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक आने वाले दिनों में दिल्ली, पटना, जयपुर, केरले के विभिन्न शहरों के अलावा ऐसी कांफ्रेंस उत्तर प्रदेश में भी की जायेगी.

 

नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद पत्रकारों, साहित्यकारों, कला व संस्कृति से जुडे सैंकड़ों नामचीन हस्तियां अनेक संस्थानों के भगवाकरण से खासे नाराज हैं. कई साहित्यकारों ने इंटालरेंस का आरोप लगा कर अपने सम्मान वापस कर चुके हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार इस बौद्धिक वर्ग का समर्थन ले कर संघ व भाजपा के खिला राष्ट्रव्यापी बौद्धिक आंदोलन खड़ा करना चाहते हैं.

 

ध्यान रहे के अप्रैल में नीतीश कुमार ने पटना में एडवांटेज मीडिया के कंक्लेव में संघमुक्त भारत का नारा दिया था.  जनता दल यु अपने अध्यक्ष नीतीश कुमार को 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ मजबूत दावेदार के रूप में पेश करने की योजना रखता है. याद करने की बात है कि एनसीपी के प्रमुख शरद पवार पहले ही नीतीश को मोदी के खिलाफ सबसे से सशक्त चेहरे के रूप में अपनी स्वीकृति दे चुके हैं. उधर पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी नीतीश को तीसरे मोर्चे के प्रबल चेहरे के रूप में मान चुकी हैं.

 

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