विधान सभा चुनाव में वोटों के लिए लालू यादव के साथ गठबंधन करने वाले मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार नीतिगत मामलों में लालू यादव को हाशिए ही रखते रहे हैं। यह नीतीश कुमार की राजनीतिक रणनीति भी हो सकती है या खुद को लालू से सुपर साबित करने की कोशिश भी। वजह जो भी, नीतीश लालू यादव को ‘वोट समेटू’ भूमिका से आगे नहीं बढ़ने देना चाहते हैं।nitish-nishchay-vikas-ki-guarantee-viksit-bihar-ke-7-sutra-1-638

वीरेंद्र यादव

 

नीतीश कुमार ने आज अगले पांच सालों का अपना निश्‍चय सार्वजनिक किया। उसे आप नीतीश कुमार का ‘घोषणा पत्र’ भी कह सकते हैं। उन्‍होंने जनता से अपील की कि आप हमें मौका दें तो अगले पांच सालों में बिहार को बदल दूंगा। ‘नीतीश निश्‍चय’ के नाम से उन्‍होंने विकसित बिहार के सात सूत्र भी प्रस्‍तुत किए हैं। इसके माध्‍यम से उन्‍होंने बताने की कोशिश की कि अगले पांच वर्षों में उनकी क्‍या प्राथमिकताएं होंगी। डॉ लोहिया ने भी सप्‍तक्रांति के नाम से सात सूत्र प्रतिपादित किये थे।

 

कहां गया विजन डाक्‍यूमेंट

नीतीश कुमार ने करोड़ों रुपए खर्च कर ‘विजन डाक्‍यूमेंट@2025’ तैयार करवाए हैं। जनभागीदारी के नाम पर व्‍यापक अभियान चलाया गया। लेकिन उसका विजन आने के पहले ही नीतीश ने अपना ‘विजन@2020’ जारी कर दिया। नीतीश के विजन का आधार जनभागीदारी से मिले तथ्‍यों को बनाया गया है, ऐसा कोई दावा नहीं किया है। सीएम ने खुद कहा था कि ‘विजन डाक्‍यूमेंट@2025’ सरकार को जनअपेक्षाओं से अवगत कराएगा। जनभावनाओं का प्रतिबिंब होगा। इसके बावजूद उन्‍होंने अपना विजन थोपने की घोषणा कर दी।

 

सीएम का एजेंडा

नीतीश कुमार दरअसल हड़बड़ी में हैं। अभी तक वे पीएम नरेंद्र मोदी के बयानों पर सफाई देने या विरोध करने में ही व्‍यस्‍त रहे हैं। नमो एजेंडा ‘फेंक’ कर लौट जाते हैं और नीतीश उसी की काट तलाशते नजर आते हैं। ‘नीतीश निश्‍चय’ के माध्‍यम से सीएम ने पहली बार अपना एप्रोच रखा है। इसके माध्‍यम से वह खुद को गठबंधन का नेता साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें उन्‍होंने लालू यादव या कांग्रेस की सहमति लेना भी आवश्‍यक नहीं समझा। नीतीश लालू यादव को हाशिए पर धकेल कर जनता को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि नीतीश कुमार के रूप में लालू यादव की वापसी नहीं हो रही है। इसमें वह कितना सफल रहते हैं, यह समय बताएगा।

By Editor