नीतीश ने बनाया रिकॉर्ड, छह इफ्तार में हुए शामिल, क्यों

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बार एक नया रिकॉर्ड बना दिया है। वे इस रमजान एक-दो नहीं, बल्कि छह इफ्तार में शामिल हुए। आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं नीतीश ?

1 अणे मार्ग में इफ्तार के दौरान मित्तन घाट के सज्जादानशीं शमीम अहमद मुनेरी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

रमजान के महीने में मुख्यमंत्री का इफ्तार देना या एक-दो खास इफ्तार में शामिल होना नई बात नहीं है। लेकिन इस बार सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड ही बना दिया। वे छह इफ्तार में शामिल हो चुके। पिछले एक-डेढ़ महीने में वे दर्जन भर मजारों पर चादर चढ़ा चुके हैं। अपने नालंदा दौरे में जहां-जहां मजार मिले, सबके समक्ष उन्होंने सिर नवाया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब तेजस्वी यादव की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए, तो इसकी देश भर में चर्चा हुई। अब आज जदयू की तरफ से इफ्तार पार्टी दी जा रही है, तो इसमें विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी शामिल हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे पहले 8 अप्रैल को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान द्वारा आयोजित इफ्तार में शामिल हुए। इस इफ्तार में हिंदू-मुस्लिम के अलावा बौद्ध और सिख धर्मावलंबी भी शामिल हुए। इसके बाद मुख्यमंत्री ने अपने आवास 01, अणे मार्ग में 15 अप्रैल दावते-ए-इफ्तार का आयोजन किया। इसमें मुस्लिम समाज के प्रतिष्ठित धार्मिक नेता तथा विचारक शामिल हुए। उन्होंने प्रदेश के लिए अमन चैन और खुशहाली की दुआ मांगी। इसके बाद 20 अप्रैल को भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन द्वारा दिए इफ्तार में मुख्यमंत्री शामिल हुए। यह आयोजन अंजुमन इस्लामिया हॉल में हुआ, जिसका कुछ ही दिनों पहले खुद मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया था। यहां तक मुख्यमंत्री का इफ्तार में शामिल होना सामान्य लग रहा था। लेकिन इसके बाद 22 अप्रैल को मुख्यमंत्री विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के इफ्तार में पहुंचे। फिर तो देश भर में चर्चा शुरू हो गई।

कल 27 अप्रैल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अफजल अब्बास के आवास पर दावत ए इफ्तार में शामिल हुए। और आज वे जदयू अल्पसंख्यक सेल द्वारा आयोजित इफ्तार में शामिल हो रहे हैं। इसमें तेजस्वी यादव के साथ राजद के सभी बड़े नेता भी शामिल हो रहे हैं।

नीतीश कुमार का छह-छह इफ्तार में शामिल होना इसलिए महत्वपू्र्ण है क्योंकि आज देश भर में मुस्लिमों के खिलाफ नफरत बढ़ाने का अभियान चल रहा है। मुख्यमंत्री का इस तरह इफ्तार में शामिल होना भाजपा के विचारों से दूरी की रेखा को मोटा करना है, भाजपा से विभाजन रेखा को स्पष्ट करना है। क्या यह नीतीश कुमार के भविष्य की राजनीति की ओर कुछ इशारा है? क्या नीतीश कोई बड़ा निर्णय लेनेवाले हैं और इफ्तार में शामिल होना उसका कोई संकेत है?

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