आईएएस-आईपीएस द्वारा सरकारी काम की आलोचना पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए दायर याचिका पर कैट ने चार सप्ताह में जवाब मांगा है.bureaucrats

केन्द्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण (कैट) की लखनऊ बेंच में आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने याचिका दायर की थी.

मालूम हो कि आईएएस, आईपीएस तथा आईएफएस की अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों द्वारा किसी भी सरकारी कार्य की आलोचना करने पर प्रतिबन्ध है. इस प्रतिबंध को समाप्त किये जाने हेतु दायर याचिका पर कैट ने 4 सप्ताह में जवाब माँगा है.

सुनवाई की अगली तिथि 28 जुलाई है.

याचिका के अनुसार अखिल भारतीय सेवा आचरण नियमावली 1968 के नियम  में इन अधिकारियों द्वारा किसी भी ऐसे वक्तव्य दिए जाने पर प्रतिबन्ध है जिससे केंद्र अथवा राज्य सरकार की किसी प्रचलित नीति अथवा कार्य की आलोचना हो अथवा उसके सम्बन्ध में प्रतिकूल टिप्पणी हो, लेकिन यह प्रावधान बहुत ही व्यापक और अस्पष्ट होने के कारण विधिक रूप से सही नहीं है और इसके दुरुपयोग की व्यापक सम्भावना है जैसा हाल में श्री ठाकुर को आज़म खान के भैंस चोरी मामले में दिए बयान में नोटिस जारी किया गया था.

याचिका के अनुसार किसी व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मात्र संविधान के अनुच्छेद 19(2) में वर्णित आधारों पर ही वर्जित किया जा सकता है पर नियम 7 में बताये गए कारणों का इस अनुच्छेद से कोई भी सम्बन्ध नहीं है.

अमिताभ ठाकुर के अनुसार इन नियम के संविधान के विरुद्ध होने के आधार पर इसे निरस्त करने की मांग की गयी है.

 

 

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