गंगा नदी की अविरलता बरकरार रखने और डॉल्फिन संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि यदि पटना विश्वविद्यालय ने जमीन उपलब्ध नहीं कराई तो गांगेय डॉल्फिन शोध केंद्र को भागलपुर में स्थापित किया जाएगा।

श्री कुमार ने बजट सत्र में एक अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर के दौरान हस्तक्षेप करते हुये कहा कि संसाधनों की उपलब्धता के कारण पटना विश्वविद्यालय में गांगेय डॉल्फिन शोध केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया था। विश्वविद्यालय ने इसके लिए भूमि उपलब्ध कराने की सहमति भी दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय प्रशासन से कई बार बात हो चुकी है। अब एक अंतिम प्रयास किया जाना है। इसके बावजूद यदि विश्वविद्यालय ने जमीन उपलब्ध नहीं कराई तो शोध केंद्र को भागलपुर में स्थापित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) का गठन फरवरी 2009 में हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्राधिकरण की एक बैठक हुई, जिसमें मैं भी शामिल हुआ था। मेरे प्रयासों की बदौलत ही डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलजीव घोषित किया गया था। ऐसे में इस जलजीव को संरक्षित रखने के उद्देश्य से एक शोध केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया था।  उन्होंने कहा कि डॉल्फिन के विकास एवं इस पर शोध कार्यों के लिए पटना विश्वविद्यालय में उपलब्ध संसाधनों और ‘डॉल्फिन सिन्हा’ के नाम से मशहूर प्रो. आर. के. सिन्हा के भी यहीं पदस्थापित होने को ध्यान में रखते हुये यहां शोध केंद्र स्थापित करने पर सहमति बनी थी।

By Editor