इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकारिता सम्मान समारोह में अखबार के सम्पादक राज कमल झा के चर्चित भाषण का अनुवाद आप भी पढ़ें जिसमें उन्होंने पीएम मोदी को पत्रकारिता की परिभाषा बताई और कहा कि अच्छी पत्रकारिता के लिए शाबाशी देने का काम पत्रकार बिरादरी द्वारा होनी चाहिए ना कि सेल्फी पत्रकारों द्वारा.

पीएम मोदी के साथ विवेक गोयनका
पीएम मोदी के साथ विवेक गोयनका

अनुवाद शैलेंद्र शैल्य

“बहु बहुत धन्यवाद श्रीमंत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी।
आपके भाषण ने हमें नि:शब्द कर दिया है पर मैं धन्यवाद ज्ञापन में कुछ कहने की आवश्यकता महसूस करता हूँ।हमलोग चाहे हैं कि आपकी उपस्थिति मे यह बात मजबूती से संवादित हो कि अच्छी पत्रकारिता अच्छे काम और अच्छे संपादन के लिये परिभाषित हो ना कि सेल्फी पत्रकारिता के लिये जिनसे आज हम सभी ग्रस्त हैं।
हमलोग आज इसी हेतु इकट्ठे हुए हैं। इन सेल्फी पत्रकारों की सोच उनकी भंगिमायें उनका दृष्टिकोण जो हमेशा अपनी ओर कैमरा घुमाकर रखते हैं तथा जिनके लिये उनकी स्वयं की आवाज और चेहरा महत्वपूर्ण होता है और शेष दुनिया उनके लिए नेपथ्य के कोलाहल का हिस्सा होती है।इस सेल्फी पत्रकारिता मे भले ही आपके पास तथ्य ना हों, सत्य ना हो तो कोई बात नहीं आप कोई एक मत आरोपित करते रहिये काम चलता रहेगा।

प्रधान मंत्री जी आपको “विश्वसनीयता के महत्व “को तारांकित करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद महाशय!मैं समझता हूँ कि यह आजकी सबसे महत्वपूर्ण चीज है जो आपके भाषण से हम पत्रकारगण को प्राप्त हुई है।आपने अपने श्रीमुख से पत्रकारों के विषय में आश्चर्यजनक बातें कही है जिससे हमलोग उलझन में हैं।आप शायद इसे विकीपीडिया में नहीं पायेंगे पर मैं इंडियन एक्सप्रेस के संपादक के तौर पर श्री रामनाथ गोयनका के विषय में कुछ बातें कहना चाहूँगा जो उन्होने कहा था।एकबार किसी। राज्य के मुख्यमंत्री ने उनसे उनके एक संवाददाता के लिये कहा कि”आपका फलांना रिपोर्टर बहुत अच्छा काम कर रहा है”तो उन्होने उस रिपोर्टर को उसी क्षण अखबार से निकाल दिया था।

आज मैं भी लगभग पचास सालों का होनेवाला हूं और कह सकता हूं कि हमारे समय मे जो पत्रकारों की नयी पीढ़ी ट्विट, रीट्विट और लाइक्स के सात  जवान हुई है,नहीं जानती है कि शासन और सत्ता से मिली आलोचना ही उसके लिए असल सम्मान है. लेकिन ऐसे हालात हैं जैसे सिनेमा के धूम्रपान दृश्यों के साथ करते हैं. हमें चाहिए कि हमलोग भी उनकी प्रशंसात्मक और आलोचनात्मक टिपण्णी को उसी गंभीरता से लें.

प्रधान मंत्री जी आपने अपने संबोधन में कुछ आश्चर्यजनक बातें की उसके लिये धन्यवाद!मैं समझता हूँ इसमें विश्वसनीयता वाला सबसे महत्वपूर्ण बिंदू था. यह महत्वपूर्ण है कि हम इसके लिये सरकार को बहुत दोष नहीं दे सकते हमे मामले के अंदर देखकर उसे ही बाहर प्रतिबिंबित करना होता है।

रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद।इस वर्ष के पुरस्कार के संदर्भ मे दो बाते प्रसांगिक हैं जो आपसे बाँटना चाहता हूँ।इसवर्ष 128संवाद संस्थाओ से 562 आवेदन आये जो विगत ग्यारह वर्षों मे सर्वाधिक है।यह इसलिये भी सर्वाधिक है क्योकि कुछ लोगों का कहना है कि स्वस्थ पत्रकारिता मरनासन्न है।अच्छी पत्रकारिता मर नहीं रही है बल्कि कद्र और भी बेहतर होती जा रही है. हाँ बुरी और छद्मपत्रकरिता ने पिछले पाँच वर्षों की तुलना में ज्यादा कोलाहल किया है.

अनुवादक हिंदी और मैथिली के युवा कवि हैं

By Editor