बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित हिन्दी पखवारा का तीसरा दिन महिलाओं के नाम रहा। मंच पर केवल महिलाएं प्रतिष्ठित थीं। आज पुरुषों ने कुछ नही कहा, सिर्फ़ सुना। अवसर था कवयित्री-सम्मेलन का। संध्या 4 बजे से खनकती सुरीली आवाज़ों में गीतो-गज़ल की जो महफ़िल सजी वह देखने-सुनने लायक थी। कवयित्रियों ने एक से बढकर, सभी रंगों के गीत और चुभती गज़लों से श्रोताओं पर गज़ब का असर पैदा किया, जिसे जल्दी भुलाया नहीं जा सकता। कविताओं का विषय नारी-विमर्श हीं नहीं, प्रेम और विश्वास के साथ समाज के बदलता रूप और समाज की पीड़ा भी थे।IMG_0814

वरिष्ठ और ख्याति-लब्ध कवयित्री डा सुभद्रा वीरेन्द्र की अध्यक्षता में आयोजित, इस कवयित्री-सम्मेलन  का संचालन वरिष्ठ कवयित्री डा भावना शेखर ने किया। चर्चित कवयित्री आराधना प्रसाद ने मौजुदा हालात पर अपने ख्याल का इज़हार इस तरह किया कि, “पत्थर को पिघलने में अभी वक्त लगेगा / हालात बदलने में अभी वक्त लगेगा/ ये फ़ूल तो गुलशन में अभी ही खिले हैं/ खुश्बू को बिखरने में अभी वक्त लगेगा”।

कवयित्री सरोज तिवारी ने बाढ की विभिषिका का चित्र खींचते हुए कहा कि, “तरस रहे थे जब नदियां, जलाशय / सुखी सुखी धरती की दुखद कहानी / गाँव नगर जल मग्न / डूबी है मड़ैया और पानी है पलानी में / पानी पानी जिन्दगानी है / जिन्द्गानी है पानी मे”। वरिष्ठ कवयित्री वीणा कर्ण ने अपनी वेदना इन शब्दों में व्यक्त की कि, “शूल भरे शब्दों से बिंधकर जीना हुआ कठिन / एक तुम्हारे बिन”।

अपने अध्यक्षीय काव्यपाठ में डा सुभद्रा ने एक बहुत बढिया छंद पढा कि, तुमसे बिछुड़ के हम बहुत रोये / छलता रहा मौसम बहुत रोये”। संचालिका भावना शेखर ने अपनी बात इस तरह रखीं कि, “जानती हूँ, तुम नही बदलोगे / जैसे नहीं बदलते, पीपल और बरगद कभी / रहते हैं अटल, अचल, अविरल”।

डा पुष्पा जमुआर, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा सुलक्ष्मी, डा वीणा कर्ण, डा अर्चना त्रिपाठी, नीता सिन्हा, शालिनी पाण्डेय, लता प्रासर, सागरिका राय, रौली कुमारी, वीणा अम्बष्ठ, डा लक्ष्मी सिंह, कुमारी मेनका आदि कवयित्रियों ने भी अपनी रचनाओं का आकर्षक पाठ किया।

इस अवसर पर, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ, वरिष्ठ साहित्यकार जियालाल आर्य, विद्वान समालोचक डा कुमार वीरेन्द्र, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त, पं शिवदत्त मिश्र, साहित्यमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, शायर आरपी घायल, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, डा शंकर शरण मधुकर, कृष्ण रंजन सिंह,   समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्ध श्रोता उपस्थित थे।

आज पूर्वार्द्ध में छात्र-छात्राओं के लिए दोहा-पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें, आदि विद्यालयों के सौ से अधिक छात्र-छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। उनके शिक्षक और माता-पिता भी उपस्थित थे। प्रतियोगिता आयोजन समिति के संयोजक प्रो सुशील कुमार और निर्णायक मंडल के सदस्य गण आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, शंकर शरण मधुकर, नेहाल कुमार सिंह भी उपस्थित थे।

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