पनामा पेपर लीक मामले आज बड़ा खुलासा सामने आया है. इंडियन एक्‍सप्रेस के मुताबिक, पीवीआर सिनेमा के मालिक अजय बिजली, सुनील मित्‍तल के बेटे व हाइक मैसेंजर के सीईओ कवीन भारती मित्‍तल और एशियन पेंट्स के प्रवर्तक अश्विन धनी के बेटे जलज अश्विन धनी समेत कुछ लोगों के नाम शामिल हैं. वहीं इस मामले को लेकर सरकार ने भी जांच तेज कर दी है.

नौकरशाही डेस्‍क

मालूम हो कि अप्रैल 2016 में पनामा पेपर्स के छपने के 3 हफ्ते पहले पनामा की लॉ फर्म मोसैक फोनसेका को किए गए ईमेल में कुछ भारतीयों के नाम सामने आए हैं. इनमें ये वे लोग हैं जिनकी विदेश में कंपनियां होने का पता चला है. मोसैक इनके लिए काम कर रही थी. ताजा खुलासे में 12 लाख ऐसे दस्‍तावेज हैं जिनमें 12000 दस्‍तावेज भारतीयों से जुड़े है. 2016 में 1.15 करोड़ दस्‍तावेज सामने आए थे.

इस मामले में ऐसे लोगों का नाम पहले भी सामने आया था, जिनकी विदेश में कंपनियां हैं. उनमें शिव खेमका, अमिताभ बच्‍चन, जहांगीर सोराबजी, डीएलएफ समू‍ह के केपी सिंह और उनके परिवार वाले, अनुराग केजरीवाल, मेहरासंस ज्‍वेलर्स के नवीन मेहरा और हाजरा इकबाल मेमन व उनके परिवारवालों के नाम शामिल हैं.

वहीं, सरकार ने ‘पनामा पेपर लीक’ से संबंधित मामले में मीडिया में जारी नए मामलों की बहु एजेंसी समूह ( एमएजी) के तत्‍वाधान में कानून प्रवर्तन एजेन्सियों द्वारा तात्‍कालिक जांच की जा रही है. इसका गठन पहले ही समन्वित एवं त्‍वरित जांच के लिए किया जा चुका है. ऐसे मामलों की जांच के लिए विद्यमान मानक संचालनकारी प्रक्रियाओं के अनुरूप, आय कर के वार्षिक रिटर्न, विशेष रूप से विदेशी परिसंपत्ति (एफए) अनुसूची, विदेशी रेमिटेंस विवरण आदि के मामले में कथित व्‍यक्तियों द्वारा किए गए खुलासों के साथ मीडिया रिलीज में प्रकाशित सूचनाओं की जांच का काम तेजी से किया जाएगा.

गौरतलब है कि पनामा पेपर लीक का खुलासा मूल रूप से खोजी पत्रकारों के अंतरराष्‍ट्रीय परिसंघ (आईसीआईजी) द्वारा 4 अप्रैल, 2016 को किया गया था. उसी दिन, सरकार ने इसके संयोजक के रूप में केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्‍यक्ष की अध्‍यक्षता में एमएजी का गठन किया था, जो आय कर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी), वित्‍तीय खुफिया ब्‍यूरो (एफआईयू) एवं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्रतिनिधियों से निर्मित्‍त था.

पनामा पेपर लीक से संबंधित 426 व्‍यक्तियों की आय कर विभाग एवं एमएजी की अन्‍य सदस्‍य एजेंसियों द्वारा जांच की गई है. चूंकि आईसीआईजी द्वारा जारी डाटाबेस में कोई वित्‍तीय विवरण या लाभदायक स्‍वामित्‍व से संबंधित कोई विवरण नहीं था, इसलिए अधिकांश मामलों में इनकी जानकारी कर समझौतों के तहत विदेशी न्‍यायाधिकार क्षेत्र से मांगनी पड़ी.

 

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