जीतन मांझी का तूफान थमने के बाद अब नीतीश कुमार को एक दूसरे मांझी की तलाश होगी और यह होंगे अरुण मांझी. अरुण मांझी मंत्री बन कर अगले छह महीने तक सुर्खियों में रह सकते हैं. इसलिए जानिये कौन हैं अरुण मांझी

नतीश के नये मांझी अरुण मांझी
नतीश के नये मांझी अरुण मांझी

इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन

राजनीति शह मात का खेल है. वोट बनाने और बिगाड़ने का खेल है. ऐसे में जीतन राम मांझी ने पिछले आठ महीनों में जो बड़ी पहचान बनायी और जिस तरह से दलित वोटों को अपनी तरफ समेटा है उसकी भरपाई करना नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती होगी. राजनीति की बिसात को बारीकी से समझने वाले नीतीश कुमार ने सीनियर मांझी की सियासी भरपाई के लिए एक जूनियर मांझी यानी अरुण मांझी की तलाश कर ली, लगती है.

बन सकते हैं मंत्री

अब लगभग यह तय है कि अरुण मांझी को नीतीश अपने मंत्रिमंडल में बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं. ऐसा करके नीतीश सीनियर मांझी के निगेटिव इफेक्ट को कम करने के लिए जूनियर मांझी को सामने लायेंगे. इस बात का आभास उसी दिन हो गया जब जीतन राम मांझी की जगह नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया और इसके लिए अरुण मांझी की खोज की गयी ताकि वह नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव दे सकें, हुआ भी यही.

इतना ही नहीं, जिस दिन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पासवान जाति को महादलित की श्रेणी में लाने की घोषणा की तो जनता दल यू के नीति निर्दारकों ने फिर अरुण मांजी को खोजा और जीतन मांझी के उस फैसले की आलोचना अरुण मांझी से करवायी. अरुण मांझी ने जीतन राम की आलोचना करते हुए तब कहा-  ‘जीतन राम मांझी ने महादलितों का अपमान किया है’.

आखिर ये अरुण मांझी हैं कौन

अरुण मांझी जनता दल यू के मसौढ़ी के एमएलए हैं. इससे पहले वह फतुहा से 2009 के उपचुनाव में भी जीते ते. अरुण मांझी सिजापी मांझी के पुत्र हैं और मसौढ़ी के ही रहने वाले हैं. वह दसवीं तक की पढ़े लिखे हैं. चूंकि मंत्री बनने के लिए शैक्षिक योग्यता अनिवार्य नहीं इस लिए इस बुनियाद पर कोई उनकी आलोचना नहीं कर सकता. अरुण की पत्नी शांति देवी हैं जो एक गृहणि हैं.

अरुण मांझी कैश के मामले में कमजोर नहीं हैं. 2010 चुनाव के वक्त घोषित दौलत के लिहाज से उनके पास आज की तारीख में ऑन रिकार्ड कैश लगभग दस लाख रुपये हैं जो पोस्ट आफिस में जमा हैं. यह रकम इसके अलावा उनकी अपनी जमीन भी है.

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