‘मंडल मसीहा’ बीपी मंडल के पुत्र व पूर्व विधायक मनींद्र कुमार मंडल 1968 में पटना कॉलेज में स्‍नातक के छात्र थे। आज वे पैतृक गांव मधेपुरा जिले के मुरहो में बीपी मंडल जन्‍मशती समारोह की तैयारी में व्‍यस्‍त हैं। समारोह में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल होंगे। इसी भागमभाग के बीच बातचीत में उन्‍होंने बीपी मंडल के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद के सामाजिक व राजनीतिक परिदृश्‍य पर चर्चा करते हुए कहा कि पिछड़ी जातियों में आ रही राजनीतिक चेतना की अभिव्‍यक्ति थी मंडल साहब का मुख्‍यमंत्री बनना।

बीपी मंडल के पुत्र व पूर्व विधायक मनींद्र कुमार मंडल से बातचीत

कांग्रेस की सत्‍ता से उब चुकी बिहार की जनता ने पहली बार 1967 में गैरकांग्रेसी सरकार के लिए जनमत दिया था और महामाया प्रसाद सिन्‍हा के नेतृत्‍व में पहली बार गैरकांग्रेसी सरकार बनी थी। लेकिन समाजवादी आंदोलन की पृष्‍ठभूमि से आये विधायकों में इस बात को लेकर आक्रोश था कि गैरकांग्रेसी सरकार में भी मुख्‍यमंत्री सवर्ण जाति यानी कायस्‍थ ही के बने। महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार में कर्पूरी ठाकुर उपमुख्‍यमंत्री बने थे और लोकसभा के सदस्‍य रहते हुए भी बीपी मंडल राज्‍य सरकार में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बने थे। इसका विरोध डॉ लोहिया ने किया था और छह महीने बाद उन्‍हें दुबारा मंत्री नहीं बनाया गया। संविधान के प्रावधान अनुसार, विधायक बनने की योग्‍यता रखने वाला कोई भी व्‍यक्ति छह माह तक किसी भी सरकार में मंत्री रह सकता है। इस बीच किसी भी सदन की सदस्‍यता ग्रहण करनी होगी, अन्‍यथा छह महीने बाद उनका कार्यकाल स्‍वत: समाप्‍त हो जाएगा।

मनींद्र कुमार मंडल कहते हैं कि बीपी मंडल समाजवादी आंदोलन के प्रमुख नेता थे और बिहार की राजनीति पर उनकी मजबूत पकड़ थी। इसी कारण सांसद रहते हुए भी उन्‍हें संविद सरकार में मंत्री बनाया गया था। वे कहते हैं कि उनकी राजनीतिक दखल का असर था कि महामाया प्रसाद सिन्‍हा के विकल्‍प के रूप में संयुक्‍त सोशसलिस्‍ट पार्टी के विधायकों ने बीपी मंडल को अपना नेता माना और उन्‍हें राज्‍य की बागडोर सौंपी गयी। वे कहते हैं कि मंडल साहब‍ के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद पूरा कोसी में उत्‍सव का माहौल था। पिछड़ी जातियों में नयी चेतना का संचार हो रहा था। कॉलेज के माहौल को लेकर उन्‍होंने कहा कि पिछड़ी जाति के छात्रों में उत्‍साह था। इसका व्‍यापक असर छात्र राजनीति पर भी पड़ा और पटना विश्‍वविद्यालय की छात्र राजनीति ‘बैकवर्ड डोमिनेटेड’ हो गयी।

पूर्व विधायक मनींद्र कुमार मंडल कहते हैं कि बीपी मंडल के सीएम बनने बाद पिछड़ी जातियों की राजनीति को नयी ताकत मिली। सामाजिक न्‍याय की शक्तियों को नयी दिशा में मिली। इसके बाद कांग्रेस ने भी दारोगा प्रसाद राय जैसे पिछड़ी जाति के नेताओं को मुख्‍यमंत्री बनाया। भोला पासवान शास्‍त्री जैसे लोगों को सत्‍ता मिलने लगी। वे कहते हैं कि मंडल आयोग ने भारतीय राजनीति की सामाजिक अवधारणाओं को पूरी तरह बदल दिया और इसका श्रेय मंडल मसीहा बिंदेश्‍वरी प्रसाद मंडल को जाता है।

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