शिवलपाल यादव

अगर आप बड़े नेता हैं तो आपका काम नियमों की धज्जी उड़ा कर चुटकियों में  किया जा सकता है. यहां तक कि प्रधानमंत्री भी ऐसे मामलों में दिलचस्पी दिखा सकते हैं.shivpal-s_650_072616060009

 

सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री और पार्टी सुप्रीमो के अनुज शिवपाल यादव अपने दामाद अजय यादव के डेप्युटेशन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा. जिसके बाद नतीजा यह निकला कि प्रधानमंत्री ने तुरन्त इसको संज्ञान में लेते हुए अजय यादव के डेप्युटेशन को 3 साल के लिए यूपी में मंजूरी दे दी.

 आज तक.इंडियाटुडे.इन में अनूप श्रीवास्तव की रिपोर्ट के अनुसार अजय यादव फिलहाल लखनऊ के पास बाराबंकी जिले के डीएम हैं. वे 2010 बैच के आईएएस हैं लेकिन उनका मूल कैडर तमिलनाडु है. पिछले साल 28 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने अजय यादव के डेप्युटेशन यानी प्रतिनियुक्ति की अर्जी को मंजूरी देकर उन्हें तीन साल के लिए यूपी में पोस्टिंग दी. प्रशासनिक अधिकारियों की पोस्टिंग पर फैसला करने वाली इस कमेटी को अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट यानी एसीसी कहा जाता है. जिसके अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री हैं.

 

कैसे हुआ चमत्कार

अगर हम इस पूरे मामले में नियमों पर नजर डाले तो एसीसी की मंजूरी मिलने से पहले अर्जी कार्मिक मंत्रालय के पास जाती है और महत्वपूर्ण बात ये है कि अजय यादव की इस अर्जी को कार्मिक मंत्रालय यानी डीओपीटी तीन बार खारिज कर चुका था, तो आखिर उनके डेप्युटेशन को कैसे मंजूरी दी गई.

कार्मिक मंत्रालय ने पहले मई, 2015 में ये प्रस्ताव ठुकराया और कहा कि डेप्युटेशन के लिए कम से कम 9 साल मूल कैडर में सेवा जरूरी है. अजय यादव 2010 बैच के अफसर हैं, इसलिए उनकी अर्जी मंज़ूर नहीं की जा सकती. मंत्रालय ने जवाब में ये भी लिखा कि जिस तरह की वजह बताकर ये डेप्युटेशन मांगा गया वह बहुत साधारण हैं और पॉलिसी के तहत उनके डेप्युटेशन की इजाजत नहीं दी जा सकती.

अजय यादव ने बताई थी अपनी मजबूरी
कुछ दिनों के बाद अजय यादव ने डीओपीटी को बताया कि उनकी पत्नी लखनऊ में रहती है और हाल ही में उन्हें एक बच्ची हुई है. जिसके देख-रेख और लालन-पालन में उन्हें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए उनका तबादला तमिलनाडु से यूपी में कर दिया जाए, जिससे वो बच्ची की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी उठा सकें. अजय यादव के इस आवेदन को अपॉइंटमेंट कमेटी ने पर्याप्त नहीं माना और रिजेक्ट कर दिया.

शिवपाल ने पीएम मोदी को लिखी थी चिट्ठी
इसके बाद शिवपाल यादव ने आव देखा ना ताव, तुरंत अपने लेटर हेड पर पीएम मोदी को चिट्ठी लिख दी. इस चिट्ठी का असर हुआ, जोरदार असर हुआ. पीएमओ ने हाई प्रायोरिटी मानते हुए उसे वापस डीओपीटी रेफर कर दिया. फिर एक झटके में पर्याप्त कारण और मापदंड को दरकिनार कर दिया गया.

अजय यादव का तबादला तमिलनाडु से तुरंत यूपी के लिए कर दिया गया. इतना ही नहीं यूपी सरकार ने तुरंत उन्हें लखनऊ के सबसे निकटतम जिला बाराबंकी में डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट तैनात कर दिया.

नियमों की उड़ी धज्जी

सभी नियमों को ताक पर रखते हुए पिछले साल अक्टूबर में अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट ने अजय यादव के डेप्युटेशन को 3 साल के लिए मंजूरी दे दी. अपने आदेश में एसीसी ने अजय यादव के डेप्युटेशन को एक ‘स्पेशल केस’ बताते हुए मंजूरी दी. हालांकि अगर नियमों को देखें तो किसी भी डेप्युटेशन में आखिरी फैसला लेना एसीसी का ही काम है, लेकिन इस मामले में क्या नियमों को इसलिए ढीला किया गया, क्योंकि अफसर एक बड़े नेता के रिश्तेदार हैं.

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