पटना के नये एसएसपी जीतेंद्र राणा जिस तरह की तैयारी कर रहे हैं उससे लगता है कि वह पुलिस को कार्पोरेट स्टाइल देने में लगे हैं. उन्होंने अब अफसरों के सामने मासिक टार्गेट तय कर दिया है.

जीतेंद्र राणा: फोट रंजीत कुमार डे, साभार टेलिग्राफ
जीतेंद्र राणा: फोट रंजीत कुमार डे, साभार टेलिग्राफ

 

पद संभालने के बाद पहली बार बुलायी गयी क्राइम मिटिंग में राणा ने  अपने मातहत अफसरों को काफी सख्त टास्क दिये. उन्होंने डीएसपी, एसडीपीओ, इंस्पेक्टर और थनाद्यक्षों के सामने मासिक टारगेट रख दिया. एक तरफ उन्होंने टारगेट पूरा करने वालों को पुरस्कृत करने की घोषणा की तो दूसरी तरफ टारगेट हासिल न करन वालों को दंडित करने की भी बात कही.

क्या है टार्गेट

एसएसपी ने जो टार्गेट थानेदार के लिए सुनिश्चित किया है उसके अनुसार वह प्रतिदिन कम से कम एक अभियुक्त या अपराधी की गिरफ्तारी सुनिश्चित करेंगे. इसी तरह थाना स्तर पर टॉप 10 क्रिमिनल्स और -30 गैरजमानती वारंटी आरोपी की सूची बना कर 30 दिनों में गिरफ्तार करना होगा.

इसी प्रकार डीएसपी या एसडीपीओ को भी उनके इलाके में सक्रिय 30 अपराधियों संगीन मामले के वांछितों की 30 दिनों में गिरफ्तारी सुनिश्चित कराने को कहा गया है.

इतना ही नहीं  एसएसपी ने एसडीपीओ और थानाद्यक्षों को कुछ महत्वपूर्ण जवाबदेही भी सौंपी है. इसक तहत रोज सुबह 9 से 10 बजे के बीच डीएसपी-एसडीपीओ फोन पर अपने इलाके में हुई घटना, कार्ययोजना उपलब्धियों की जानकारी एसएसपी को देंगे.

 

इंस्पेक्टर डीएसपी रोज थाने जाकर दो घंटे आईओ के काम की समीक्षा करेंगे. साथ ही एसएसपी ने चेतावनी देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि लापरवाह जवान-अफसरों पर कड़ी कार्रवाई होगी. उन्होंन यह भी कहा है कि थानेदार का निवास उनके थाने के क्षेत्राधिकार में ही होगा और पुलिस अनुमंडल क्षेत्र से बाहर जाने से पहले संबंधित एसपी से अनुमति लेनी होगी. इमरजेंसी को छोड़ कर हर हाल में थानेदार या अपर थानाध्यक्ष को थाना भवन में रहना होगा.

इसके पहले 8 अक्टूबर को पद ग्रहण करने के बाद राणा ने कहा ता कि पटना पुलिस सोशल नेटवर्किंग साइट से सक्रिये रूप से जुड़ेगी ताकि आम लोगों से वह जुड़ सके.

By Editor