सचर कमेटी की रिपोर्ट आने के छह साल के बाद जहां देश में पुलिसकर्मियों की संख्या में इजाफा हुआ है वहीं इसमें मुसलमानों की भागीदारी घटी है.police

जीशान शेख

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है.

सचर कमेटी ने साम्प्रदायिकता को काबू करने के उद्देश्य से सिफारिश की थी कि पुलिस बलों में अल्पसंख्यकों के अनुपात में इजाफा किया जाना चाहिए.

2012 में जिन राज्यों में मुस्लिम पुलिसकर्मियों की संख्या, 2007 के बनिसबत कम रही है उनमें अधिकतर कांग्रेस शासित राज्य हैं. इनमें राजस्थान, आंध्रप्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मिजोरम और केरल शामिल हैं.

2006 में अपनी सिफारिशें पेश करते हुए सचर कमेटी ने पुलिस बलों में मुसलमानों के कम प्रतिनिधित्व पर सवाल उठाया था. इसके बाद सरकार ने अपनी वचनबद्धता जताते हुए कहा था कि इस संख्या में इजाफा किया जायेगा. लेकिन एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि मुसलमानों का प्रतिनिधत्व नहीं बढ़ा.

2007 में 1.01 लाख मुसलमा पुलिस बल में थे जो कुल पुलिस बल का 7.55 प्रतिशत होता है. उस समय पुलिस बलों की कुल संख्या 13.4 लाख थी. लेकिन 2012 आते आते देश में पुलिसकर्मियों की संख्या में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इस प्रकार इनकी संख्या 16.7 लाख पहुंच गयी. जबिक इस अवधि में मुसलमानों की भागीदारी एक प्रतिशत गिर के 6.5 प्रतिशत रह गयी.

संख्या के लिहाज से देखें तो इन पांच वर्षो में 3.26 लाख पुलिसकर्मियों का इजाफा हुआ इनमें 7132 या 2.18 प्रतिशत मुस्लिम शामिल हैं. इस प्रकार मुस्लिम पुलिसकर्मियों की संख्या 1.01 लाख से बढ़ कर 1.08 लाख हो गयी.

2001 के जनगनणा के अनुसार देश में मुसलमानों की आबादी 13.43 प्रतिशत है.

असम की हालत सबसे बुरी

इस मामले में सबसे कमजोर स्थिति राजस्था और असम की रही. इन दोनों राज्यों में मुस्लिम पुलिसकर्मियों की संख्या में, 2007-12 के दौरान 56 प्रतिशत की गिरावट हुई है. असम में मुसलमानों की आबादी कुल आबादी का 31 प्रतिशत है और वहां पुलिस बल में मुसलमानों की संख्या 2388 है( 2012 के आंकड़ा) जो कि कुल पुलिस बल का मात्र 4 प्रतिशत बैठता है. इसी प्रकार राजस्थान में सिर्फ 871 मुस्लिम पुलिसकर्मी हैं.

भाजपा शासित राज्यों की हालत भी लगभग ऐसी ही है. गुजरात में मुस्लिम पुलिसकर्मियों की संख्या में 2007-12 के दौरान 32.74 प्रतिशत की गिरवाट दर्ज की गयी. तमिल नाडु और पांडुचेरी की भी यही स्थिति रही.

अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंती की ओर से चलाये जा रहे पंद्रह सूत्री कार्यक्रम में राज्यों पर इस बात के लिए जोर दिया गया है कि वे पुलिस बल की बहालियों में अल्पसंख्यकों पर विशेष तवज्जो दी जाये.

साभार इंडियन एक्सप्रेस

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