The President, Shri Ram Nath Kovind, the Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu and the Prime Minister, Shri Narendra Modi with the newly inducted Ministers after a Swearing-in Ceremony, at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on September 03, 2017.

केन्द्रीय मंत्रिमंडल में बिहार से दो नये चेहरे अश्विनी चौबे और आर.के.सिंह को शामिल कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन 2019 के अपने लक्ष्य को हासिल करने लिए राजनीतिक एवं प्रशासनिक अनुभव के साथ राज्य में जातीय संतुलन को भी ठीक करने की कोशिश की है। बिहार से मोदी मंत्रिमंडल में कुल आठ मंत्री थे, लेकिन इनमें से कोई भी ब्राह्मण नेता नहीं था। श्री चौबे की ब्राह्मण राजनीति में मजबूत पकड़ है और उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह देकर इस कमी को पूरा किया गया है। वहीं राजीव प्रताप रूडी के इस्तीफे के कारण बिहार में राजपूत राजनीति पर पकड़ रखने वाले एक तेज – तर्रार नेता की कमी आर के सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल पूरी की गयी है।


मोदी मंत्रिमंडल में भाजपा कोटे से रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह, गिरिराज सिंह, रामकृपाल यादव, लोक जनशक्ति पार्टी से रामविलास पासवान, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से उपेंद्र कुशवाहा मंत्री हैं। वहीं बिहार से ही भाजपा के राज्यसभा के सदस्य धर्मेंद्र प्रधान भी केन्द्रीय मंत्री हैं। हालांकि वह ओडिशा के मूल निवासी हैँ। पिछले 31 अगस्त को कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था ।  मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय संतुलन के साथ राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव का भी ख्याल रखा गया है। पहली बार सांसद बने अश्विनी कुमार चौबे 70 के दशक में जयप्रकाश आंदोलन से राजनीति में सक्रिय रहे और उनका राज्य की राजनीति में गहरा अनुभव है। आर के सिंह का भले ही राजनीतिक अनुभव कम हो लेकिन उनकी प्रशासनिक कुशलता और दक्षता का लोहा उनके राजनीतिक विरोधी भी मानते हैं। नब्बे के दशक में भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोक कर सुर्खियां बटारने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के बिहार कैडर के पूर्व अधिकारी श्री सिंह केंद्र सरकार में गृह सचिव के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

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