बिहार में भाजपा नयी जमीन की तलाश और पुरानी जमीन को पुख्‍ता करने के लिए नये सिरे से धार्मिक गोलबंदी की शुरुआत कर रही है। इस बार भाजपा ने सिख और बौद्ध धर्म को निशाने पर लिया है। इन धर्मों को अधिक महत्‍व देने का आरोप भी नीतीश सरकार पर लगाया है। प्रकाशपर्व और कालचक्र पूजा शांतिपूर्ण संपन्‍न हो गया। इससे बिहार की छवि निखरी। इस बात से भाजपा भी सहमत है। लेकिन मकर संक्रांति पर हुई नौका दुर्घटना को भाजपा ने हिंदुत्‍व से जोड़ दिया और उसमें भी राज्‍य सरकार पर धर्म के आधार पर तैयारी में भेदभाव का आरोप मढ़ दिया।

वीरेंद्र यादव

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रविवार को भाजपा के वरिष्‍ठ नेता और पूर्व उपमुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर राज्‍य सरकार पर ‘हिंदुओं के पर्व’ पर बेहतर व्‍यवस्‍था नहीं करने का आरोप लगाया। उन्‍होंने साफ शब्‍दों में कहा कि प्रकाशोत्‍सव (सिखों का त्‍योहार) के आयोजन पर राज्‍य सरकार ने 200 करोड़ रुपये खर्च किये। कालचक्र पूजा (बौद्धों का त्‍योहार) की व्‍यवस्‍था बेहतर की गयी तो हिंदुओं के पर्व (मकर संक्रांति) को लेकर बेहतर व्‍यवस्‍था क्‍यों नहीं की गयी।

 

दरअसल अब भाजपा ‘आक्रामक हिंदुत्व’ की राजनीति फिर से शुरू करना चाह रही है। इस दिशा में वह सिख और बौद्धों के विरोध की राजनीति की भी शुरुआत करना चाह रही है, ताकि हिंदुत्‍व की भावनाओं को सहला कर पार्टी का जनाधार बढ़ाया जा सके। भाजपा अपनी नयी कोशिश में कितना सफल होती है, फिलहाल कुछ भी कहना संभव नहीं है। लेकिन धर्म के आधर पर प्रशासनिक तैयारी के भेदभाव का आरोप भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्‍सा हो सकता है और दूरगामी रणनीति भी।

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