मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने नयी कैबिनेट की पहली बैठक से पहले प्रधान सचिव व सचिव स्‍तर के पदाधिकारी का बड़ा फेरबदल किया था। अब 11 मार्च से बजट सत्र शुरु होने के पहले भी आइएएस और आइपीएस अधिकारियों के जिम्‍मेवारियों में बड़ा फेरबदल की तैयारी कर रहे हैं।Patna-OldSecretariat

बिहार ब्‍यूरो

 

सीएमओ से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, आइइएस और आइपीएस अधिकारियों के साथ बिहार प्रशासनिक सेवा और बिहार पुलिस सेवा के अधिकारियों का भी स्‍थानांतरण हो सकता है। चुनाव वर्ष होने के कारण इन तबादलों को महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है। पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी ने पदाधिकारियों के पदस्‍थापन में दलित व पिछड़ी जातियों को प्राथमिकता दी थी। महत्‍पवूर्ण पदों पर गैरसवर्णों को पदस्‍थापित किया था। मांझी ने पटना जैसे शहर में सभी प्रमुख पदों पर गैरसवर्ण पदाधिकारियों को नियुक्‍त किया था। दरअसल नीतीश कुमार व मांझी के बीच मतभेद का प्रमुख कारण पदाधिकारियों को स्‍थानांतरण व पदस्‍थापन भी था। जीतनराम मांझी ने दलित पदाधिकारियों की बैठक आयोजित थी, जिसने आग में घी का काम किया।

 

नीतीश कुमार पूर्व सीएम मांझी के तय मानदंडों को दरकिनार कर सकते हैं। वह नये पदस्‍थापन में सवर्ण और अन्‍य प्रमुख जातियों की प्राथमिकता दे सकते हैं। हालांकि दलितों को एकदम हासिए पर धकेलना भी संभव नहीं है। अधिकारियों के तबादले और पदस्‍थापन को प्रशासनिक कारण ही बताए जाते हैं, लेकिन बिहार जैसे राज्‍य में इसमें बड़ी भूमिका जाति की भी होती है। फिर मुख्‍यमंत्री के प्रति वफादारी को भी आधार माना जाता है। यह देखना रोचक होगा कि जिलों में पदास्‍थापन में किन मानदंडों का पालन किया जाता है।

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